ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहार गयाभगवान बुद्ध व उनके शिष्यों के पवित्र अस्थिकलश का दर्शन करेंगे श्रद्धालु

भगवान बुद्ध व उनके शिष्यों के पवित्र अस्थिकलश का दर्शन करेंगे श्रद्धालु

भगवान बुद्ध व उनके शिष्यों के पवित्र अस्थिकलश का दर्शन करेंगे श्रद्धालु भगवान बुद्ध व उनके शिष्यों के पवित्र अस्थिकलश का दर्शन करेंगे...

भगवान बुद्ध व उनके शिष्यों के पवित्र अस्थिकलश का दर्शन करेंगे श्रद्धालु
हिन्दुस्तान टीम,गयाSun, 15 May 2022 10:00 PM
ऐप पर पढ़ें

बोधगया, निज संवाददाता

बोधगया स्थित श्रीलंकाई बौद्ध मंदिर में भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों सारिपुत्र व मोग्गलान की पवित्र अस्थि कलश का विशेष पूजा अर्चना हुआ। सोमवार को बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए रखा जाएगा। दो साल से कोरोना संक्रमण के कारण उसकी सार्वजनिक प्रदर्शनी नहीं हुई थी। लेकिन बुद्ध जयंती के मौके पर बौद्ध श्रद्धालु अस्थिकलश का दर्शन कर सकेंगे। इसके पूर्व रविवार को श्रीलंकाई बौद्ध मठ में विधि विधान से अस्थिकलश का पूजा अर्चना किया गया। मंदिर के बौद्ध भिक्षु परंपरा के अनुसार विशेष पूजा अर्चना किया। इन अस्थि कलशों को 2006 में यहां लाया गया था व स्थापित किया गया था। नवनिर्मित जयश्री महाबोधि विहार के वार्षिकोत्सव के दौरान प्रतिवर्ष इनकी तीन दिवसीय प्रदर्शनी फरवरी के पहले सप्ताह में लगाई जाती है, ताकि बौद्ध श्रद्धालु इनका दर्शन लाभ उठा सके। 2011 में इन अस्थि कलशों को भूटान भी ले जाया गया था। महाबोधि सोसाइटी परिसर में भगवान बुद्ध की रखी पवित्र अस्थि कलश को श्रीलंका से लाया गया है। इसे ब्रिटिश शासन के दौरान 1937 में महियंगम स्तूप से खुदाई के दौरान प्राप्त किया गया था। भगवान बुद्ध के दोनों शिष्यों की अस्थि कलश सांची के स्तूप संख्या तीन से मिली थी। 1851 में कनिंघम ने खुदाई के दौरान इसे निकाला था। इन अस्थि कलश को बाद में लंदन के अल्बर्ट संग्रहालय में रखा गया था। महाबोधि सोसाइटी के प्रयास से 14 मार्च 1947 को इन अस्थि कलश को श्रीलंका भेजा गया। वहां से 12 जनवरी 1949 में इसे भारत लाया गया। बोधगया में कोलकाता स्थित मुख्यालय से अस्थि कलश को लाकर रखा गया है।

थाईलैंड से आए 11 सदस्यीय शिष्टमंडल ने निरंजना रिवर रिचार्ज मिशन का किया निरीक्षण

थाईलैंड से आए 11 सदस्यीय श्रद्धालुओं के दल ने रविवार निरंजना रिवर रिचार्ज मिशन के कार्यों की जानकारी होने पर कार्य स्थलीय निरीक्षण किया और इस पुनीत कार्य में सहयोग देने का आश्वासन दिया। मृतप्राय हो चुके निरंजना नदी को निर्झर बनाना एक बृहद कार्य है। भगवान बुद्ध से जुड़ी गाथा में निरंजना नदी का अहम नाम है। उक्त जानकारी देते हुए वट लाओ बोधगया इंटरनेशनल बौद्ध मठ के प्रबंधक संजय कुमार ने बताया कि बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर 16 मई को सुबह 6 बजे होने वाले नागा पूजा और 108 भिक्षुओं को पिंडपाता ऑफर करने का कार्यक्रम है. जबकि शाम 6 बजे निरंजना दीपोत्सव का कार्यक्रम होगा। जिसमें आरती के साथ साथ 5100 मिट्टी का दीया जलाया जाएगा। जिसका संचालन निरंजना रीवर रिचार्ज मिशन कर रहा है।

यह हिन्दुस्तान अखबार की ऑटेमेटेड न्यूज फीड है, इसे लाइव हिन्दुस्तान की टीम ने संपादित नहीं किया है।
हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें