6.50 करोड़ की लागत से बने शवदाह गृह में नहीं जलाए जा रहे शव
गया शहर के विष्णुपद श्मशान घाट में एक वर्ष पूर्व उद्घाटित हुए शवदाह में इन दिनों शव जलाने का कार्य लगभग बन्द है। कम खर्च पर शव का अंतिम संस्कार...

गया शहर के विष्णुपद श्मशान घाट में एक वर्ष पूर्व उद्घाटित हुए शवदाह में इन दिनों शव जलाने का कार्य लगभग बन्द है। कम खर्च पर शव का अंतिम संस्कार करने तथा धुंए जैसे प्रदूषण को नियंत्रित करने के उद्देश्य को लेकर करीब 6 करोड़ 50 लाख रुपये की लागत से बनाये गए शवदाह गृह में शव नहीं जलाए जा रहे है। शवदाह गृह रहने के बावजूद शव बाहर खुले स्थानों पर जलाए जा रहे हैं।
बताया गया कि तकनीकी कारणों के कारण शव नहीं जल पा रहे हैं। प्रारम्भ में अधजला शव रह जाने की शिकायत को लेकर लोग शवदाहगृह के बजाय बाहर में शव का अंतिम संस्कार कर रहे हैं। बताया गया कि क्रिमिएशन मशीन लगाने प्रदूषण मुक्त शवदाह गृह का समुचित लाभ लोगो को नहीं मिल रहा है। जबकि शवदाह के लिए नगर निगम की ओर से 10 क्रिमिएशन मशीनें लगायी गयी है। विभागीय स्तर पर बताया गया कि उद्घाटन से अबतक करीब 50 शव का अंतिम संस्कार शवदाहगृह में किया गया है। शहर के विष्णुपद श्मशानघाट में हाईटेक शवदाह की व्यवस्था की गई।
आने वाले दिनों में पर्यावरण की सुरक्षा व लकड़ी मिलने की समस्या को देखते हुए मशीनरी सुविधा से लैस शवदाहगृह इन दिनों शोभा की वस्तु बनकर रह गई है। कम से कम लकड़ी में और जल्द से जल्द शवों को अंतिम संस्कार किया जाना है। जहां शवों को दाहसंस्कार में सात से नौ मन लकड़ी लगती है। मशीन में मात्र दो से ढाई मन लकड़ी में दाह संस्कार हो जाएगा। मशीन से लगभग 70 मिनट शव पूरी तरह से जल जाएगा। जिसमें सौ फीट ऊंचाई का चिमनी लगा है। जो धुआं रहित प्रदूषण मुक्त है। लेकिन इसका लाभ लोग नही उठा रहे हैं और खुले आकाश में ज्यादा लकड़ी का उपयोग कर शव का अंतिम संस्कार कर रहे हैं।