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कम पानी वाली फसलों का चयन करने से बनेगी बात: डीएम

कम पानी वाली फसलों का चयन करने से बनेगी बात: डीएम जिला कृषि पदाधिकारी ने

कम पानी वाली फसलों का चयन करने से बनेगी बात: डीएम
हिन्दुस्तान टीम,गयाTue, 02 Mar 2021 08:50 PM
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कम पानी वाली फसलों का चयन करने से बनेगी बात: डीएम

जिला कृषि पदाधिकारी ने कहा वैकल्पिक खेती आज की जरूरत

प्रत्येक महीने के पहले मंगलवार को जल जीवन हरियाली दिवस

गया। प्रधान संवाददाता

किसान कृषि की नई तकनीक का उपयोग कर अधिक पैदाकार कर सकते हैं। हमें कम पानी वाली फसलों का चयन करना चाहिए, जो जलवायु के अनुकूल हो। परंपरागत खेती धान, गेहूं के बदले अन्य फसलों का चयन करना चाहिए जो कम समय में कम पानी का उपयोग करते हुए अधिक उपज प्राप्त करने में सहायक सिद्ध हो। मंगलवार को जल जीवन हरियाली दिवस के मौके पर आयोजित परिचर्चा में डीएम अभिषेक सिंह ने यह बातें कहीं। उन्होंने उपस्थित किसानों और जीविका दीदियों से खेती की नई तकनीक अपनाने की अपील की। इस मौके पर डीडीसी सुमन कुमार ने कहा कि ग्रामीण विकास विभाग, प्रत्येक माह के पहले मंगलवार को जल जीवन हरियाली का आयोजन कर रहा है। जिससे लोगों में बेहतर संदेश जाए। प्रत्येक माह के पहले मंगलवार को इसके विभिन्न अवयवों पर परिचर्चा होगी।

परिचर्चा को संबोधित करते हुए जिला कृषि पदाधिकारी ने बताया कि वैकल्पिक फसल समय की मांग है। वर्षापात में लगातार हो रही कमी/अनियमित वर्षापात के कारण फसलों को किसान अधिक पानी देने की स्थिति में नहीं हैं। साथ ही मौसम में अचनाक बदलाव के कारण धान, गेहूं की अपेक्षित उपज हम नहीं ले पा रहे हैं। ऐसे में किसान वैकल्पिक खेती के रूप में मक्का उपजा सकते हैं। धान के स्थान पर मडवा की खेती हो सकती है। मडवा और मक्का के एक किलोग्राम का उत्पादन 400 से 600 लीटर पानी में हो जाता है। परिचर्चा में टपकन सिंचाई के संबंध में जानकारी दी गई। बेलागंज के किसान सुरेन्द्र कुमार ने भी टपकन खेती के बारे में बताया। साथ जी जैविक खेती के बारे में भी चर्चा हुई। इस मौके पर टनकुप्पा के किसान ईश्वर वर्मा ने अपनी राय रखी।

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