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VIDEO: गया में ह्वेनसांग के पदचिन्हों पर चले चीनी बौद्ध भिक्षु, दिया शांति का संदेश

भारत हमेशा से ही विदेशियों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है। धर्म ,दर्शन ,आध्यात्म और विभिन्न संस्कृतियों के मिश्रण ने ना केवल विदेशियों को मन्त्रमुग्ध किया बल्कि यहां आने के लिए उन्हें प्रेरित भी...

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हिन्दुस्तान टीम,गयाMon, 20 Nov 2017 10:15 PM
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भारत हमेशा से ही विदेशियों के लिए आकर्षण का केन्द्र रहा है। धर्म ,दर्शन ,आध्यात्म और विभिन्न संस्कृतियों के मिश्रण ने ना केवल विदेशियों को मन्त्रमुग्ध किया बल्कि यहां आने के लिए उन्हें प्रेरित भी किया है। उनमे चीनी यात्री ह्वेनसांग का नाम विशेष रूप से प्रसिद्ध रहा है। सोमवार को बोधगया में ह्वेनसांग की यात्रा की याद ताजा हो गई। चीन के 108 बौद्ध भिक्षु ह्वेनसांग के पदचिन्हों पर चलकर बोधगया पहुंचे और शांति व भाईचारे का संदेश दिया। बुद्धम शरणं गच्छामि, धम्मं शरणं गच्छामि मंत्र के साथ ह्वेनसांग के संदेशों के पुनर्जागरण का एहसास कराया।

अमन, चैन और शांति का संदेश लेकर चीन से 2 अगस्त को भारत व चीन के झंडे को लेकर ये बौद्ध भिक्षु निकले है। वियतनाम व कम्बोडिया से पद यात्रा करते हुए 13 नवम्बर को कोलकता पहुंचे और वहां से पैदल चलकर 21 नवबंर को बोधगया पहुंचे हैं। भिक्षुओं ने बताया कि पदयात्रा का उद्देश्य ह्वेनसांग पद चिन्हों पर चलकर चीन और भारत के बढ़ती दूरियों को कम करना और रिश्ते की मिठास को मजबूत बनाना है। बोधगया पहुंचने के बाद बौद्ध भिक्षु सबसे पहले महाबोधि मंदिर गए और भगवान बुद्ध के चरणों मे मत्था टेका। फिर भारत और चीन के रिश्ते के मजबूती के लिए बुद्ध से प्रार्थना की। गौरतलब हो कि ह्वेनसांग 630 ईस्वी मध्य एशिया के रास्ते पदयात्रा करके ताशकंद ,समरकंद तथा काबुल होते हुए भारत पहुचे थे। 2 साल तक कश्मीर में रहते हुए बौद्धग्रंथो का गहन अध्ययन किया। बोधगया आकर महात्मा बुद्ध के दर्शन की अनुभूति उन्हें प्राप्त हुयी। इसके बाद उन्होंने ज्ञान के सबसे बड़े केंद्र नालंदा विश्वविद्यालय में बौद्धग्रंथो का गम्भीर अध्ययन किया यहां की शिक्षा और संस्कृति से प्रभावित हुए। लगभग 15 वर्षो तक भारत में अध्यन करने के बाद बौद्ध ग्रन्थ एवं यहां के दर्शन को यहां से अपने देश चीन लेकर गए।

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