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बौद्ध धर्म मानवीय संबंधों के मूल पर बल देता है

धर्म : अन्त:धार्मिक सौहार्द्र का संदेहवाहक विषय पर दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार...

बौद्ध धर्म मानवीय संबंधों के मूल पर बल देता है
हिन्दुस्तान टीम,गयाThu, 16 May 2019 09:36 PM
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भगवान बुद्ध की 2563 वीं जयंती पर महाबोधि सोसाइटी ऑफ इण्डिया के द्वारा गुरुवार से ‘‘बौद्ध धर्म : अन्त:धार्मिक सौहार्द्र का संदेहवाहक विषय पर दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार शुरू हुआ। सेमिनार का उदघाटन करते हुए मगध की कमिश्नर टीएन बिन्देश्वरी ने कहा कि बौद्ध धर्म एक श्रेष्ठ आचार संहिता है। इसमें सांप्रदायिकता, जातीय, लिंग व रंग का भेदभाव नहीं है। यही कारण है कि यह धर्म सभी के लिए अनुकरणीय है।उन्होंने कहा कि बौद्ध धर्म मानवीय संबंधों पर मूलतः पर बल देता है। इसका संदेश सार्वकालिक है और मानव कल्याण के लिए वैज्ञानिक तथा तार्किक आधार युक्त है। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि सह जिलाधिकारी अभिषेक सिंह ने कहा कि इस वर्ष का सेमिनार ऐसे समय में हो रहा है जब सुरक्षा के दृष्टिकोण से बोधगया एक अतिसंवेदनशील स्थल है। बौद्ध धर्म मूल रूप से अहिंसा, शांति, भाईचारा तथा अन्त:धार्मिक सौहार्द की शिक्षा देती है। इसके कारण इस विषय पर संगोष्ठी का आयोजन अत्यंत प्रासंगिक है। पूर्व महानिदेशक केन्द्रीय उत्पाद के ऋषिकेश शरण तथा मुंगेर विश्वविद्यालय के प्रोवीसी प्रो. कुसुम कुमारी ने बौद्ध धर्म के मूल सिद्धांत शील, समाधि, प्रज्ञा के साथ करूणा, मेत्ता, मुदिता और उपेक्षा के ब्रह्मविहार को अन्त:धार्मिक संबंध के विकास एवं प्रसरण में अत्यन्त महत्वपूर्ण बताते हुए उसके व्यावहारिक पक्ष पर बल दिया। प्रथम और द्वितीय सत्र में ब्रोक विश्वविद्यालय, कनाडा की प्रो. शालिनी सिंह ने पर्यटन की दृष्टि से बोधगया एवं अन्य बौद्ध स्थलों को अन्तर्राष्ट्रीय संबंधों में भारतीय संस्कृति, धर्म, तथा वहॉ के लोगों के व्यवहार पर अपने अनुभव प्रकट किया। उन्होंने कहा कि भगवान बुद्ध के उपदेश यदि हमारे व्यवहार में झलकते हैं तो वह न केवल देशहित में होगा बल्कि सम्पूर्ण मानवतावादी विश्व प्रभावित होगा।ईसाई मिशनरी के प्रचारक तथा बौद्ध धर्म विद्वान् डा. सुजाई लारेंस ने ‘‘धार्मिक कट्टरता, धैर्य और बुद्ध पर व्याख्यान देते हुए कहा कि बौद्ध धर्म हमें अंधविश्वास से उपजी पीड़ा से मुक्ति दिलाता है। इस अवसर पर मगध विश्वविद्यालय के प्रो. मुकेश कुमार, मुंगेर विश्वविद्यालय के प्रो. भवेशचन्द्र पाण्डेय आदि ने विचार प्रकट किए। बीटीएमसी के सचिव श्री एन. दोरजी ने कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की। सेमिनार में कनाड़ा, लाओस, बंगलादेश, म्यांमार देश के विद्वान शामिल हुए। समारोह का शुभारंभ भिक्षुओं के सूत्रपाठ, धम्मदीप प्रज्जवन एवं स्वस्ति प्रार्थना से हुआ। वरिष्ठ भिक्षु यू. न्यानिंदा तथा अर्न्तराष्ट्रीय बौद्ध परिषद् के अध्यक्ष भिक्षु सन्दालंकार ने शांति पाठ किया।

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