बाराचट्टी में खुला बिहार का पहला मिलेट घर
मोटे अनाज कहे जाने वाले खाद्य पदार्थ हमारे थाली से दूर हो गए हैं। इस मुद्दे को लेकर सरकारी स्तर पर भी मुहिम शुरू की गई है। साल 2023 को केंद्र...

मोटे अनाज कहे जाने वाले खाद्य पदार्थ हमारे थाली से दूर हो गए हैं। इस मुद्दे को लेकर सरकारी स्तर पर भी मुहिम शुरू की गई है। साल 2023 को केंद्र सरकार ने मिलेट वर्ष घोषित किया है। इसी कड़ी के तहत सूबे का पहला मिलेट घर बाराचट्टी प्रखंड क्षेत्र के महादलित बाहुल्य गांव कोहवरी में खोला गया है। समाज और पर्यावरण के बीच बेहतर तालमेल बनाने के मकसद से खोला गया। इस मिलेट के अंदर में विलुप्त हो रहे हैं मोटे अनाज की कई प्रजातियां के अलावा कई तरह के साग सब्जियों से बनाए गए सामान आम लोगों को मिल सकेंगे। सहोदय समुदाय की ओर से बाराचट्टी में एक प्रयास शुरू किया गया है, जिससे मोटे अनाज को लोगों की थाली तक पहुंचाने की मुहिम शुरू की गई है। लोगों को स्वस्थ और टिकाऊ जीवन जीने की ओर बढ़ने की प्रवृत्ति से रूबरू कराया जा रहा है।
मिलेट घर में उपलब्ध होंगे मोटे अनाज
दादा दादी के जमाने में मोटे अनाज की परंपरा को एक बार फिर जिंदा करते हुए। मिलेट में मडुआ कोदो कोईनी कुटकी सावां मोटे अनाज जैसे अनाज रखे गए हैं। वहीं मनकोनी अलसी राम तेल सफेद तिल आदि से बने खाद्य पदार्थ और व्यंजन ठेकुआ नीम की लड्डू हलवा बर्फी केक और बिस्कुट आदि उपलब्ध है। आम लोगों को रसायन मुक्त देसी खाद्य सामान या अनाज तेल आदि को शुद्धता के साथ देने का लक्ष्य रखा गया है। वही हर्बल चाय घरेलू औषधि के अलावा एक सौ तेरह के देसी बीज को भी रखा गया है।
इस संबंध में सहोदय समाज से जुड़े अनिल ने बताया कि बाराचट्टी के एक महादलित गांव में साल 2017 से बच्चों के साथ एक वैकल्पिक समग्र शिक्षा व्यवस्था के साथ समुदायक जीवन जीने की कोशिश शुरू की गई है। इसी कड़ी के तहत मिलेट घर खोलने की योजना बनाई गई, ताकि इलाके के लोगों के अलावा अन्य इलाके के लोग भी जागरूक होकर मोटे अनाज का सेवन कर अपने को स्वस्थ रख सके। उड़ीसा राज्य में वहां की सरकार ने कुपोषण दूर करने के लिए जनवितरण प्रणाली दुकान के माध्यम से मडुआ बांटना शुरू किया है। वहीं केंद्र सरकार के सेंट्रल हॉल के कैंटीन में मडुआ से बने सामान भी उपलब्ध कराए गए हैं।