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10 दिन में एक ही परिवार के 4 लोग कैसे मर गए, दहशत में लोग; स्वास्थ्य महकमे में हड़कंप

परिवार के अन्य तीन सदस्य एवं ग्रामीणों की जब आरडीटी टेस्ट की गई तो सभी नेगिटिव मिले। ऐसे में डॉक्टरों को भी आश्चर्य हो रहा है कि आखिर मलेरिया सिर्फ चार लोगों को कैसे हुआ। हालांकि स्लाइवा लिया गया है। जिसकी प्रयोग प्रयोगशाला में जांच की जाएगी।

Nishant Nandan हिन्दुस्तानWed, 7 Aug 2024 02:12 AM
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प्रखंड के सलगाटांड़ गांव में संदिग्ध बीमारी से मंगलवार को 13 वर्षीय गीता कुमारी की मौत हो गई। गीता की तबीयत खराब होने पर उसे मर्सी हॉस्पिटल पोड़ैयाहाट ले जाया गया था। जहां जांच में मलेरिया से पीड़ित बताया गया और डॉक्टरों जवाब दे दिया। इसके बाद घर ले जाने के दौरान रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। पिछले 10 दिनों के अंदर एक ही परिवार की मां, दो पुत्री और एक भतीजी की मौत हो चुकी है। मृतकों में चालीस वर्षीय उर्मिला देवी, 11 वर्षीय उमा कुमारी,13 वर्षीय गीता कुमारी और भतीजी 12 वर्षीय मालती कुमारी शामिल है।

इस तरह से लगातार हुई घटना के कारण पूरे गांव सदमे में है। लोगों में दहशत है। घटना की जानकारी मिलते ही पोड़ैयाहाट सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के स्वास्थ्य टीम गांव में कैंप कर रही है। घटना के संबंध में बताया जाता है कि सलगाटांड़ गांव के गोपी सिंह की पत्नी 40 वर्षीय उर्मिला देवी की तबीयत खराब होने पर उन्हें बिहार के बौंसी इलाज के लिए ले जाया गया था। वहां इलाज के बाद देवघर रेफर कर दिया गया। देवघर में भी इलाज के बाद उन्हें एम्स रेफर किया गया। 29 जुलाई को उनकी मौत हो गई।

उसके बाद उर्मिला देवी की भतीजी व जदवी सिंह की 12 वर्षीय पुत्री मालती कुमारी की तबीयत खराब हुई और 2 अगस्त को मौत हो गई। 4 अगस्त को 11 वर्षीय उमा कुमारी की तबीयत खराब होने से उसकी मौत हो गई। वहीं, मंगलवार को 13 वर्षीय गीता कुमारी की मौत हो गई। सभी में एक ही सामान्य लक्षण बताया गया। सभी के सिर, पेट में दर्द और बुखार था। स्वास्थ्य टीम पूरे गांव में कैंप कर जांच कर रही है। लेकिन, अब तक यह पता नहीं चल पाया है कि चार लोगों मौत किन कारण से हुई है।

सिर्फ 4 लोगों को मलेरिया कैसे हुआ?

परिवार के अन्य तीन सदस्य एवं ग्रामीणों की जब आरडीटी टेस्ट की गई तो सभी नेगिटिव मिले। ऐसे में डॉक्टरों को भी आश्चर्य हो रहा है कि आखिर मलेरिया सिर्फ चार लोगों को कैसे हुआ। हालांकि स्लाइवा लिया गया है। जिसकी प्रयोग प्रयोगशाला में जांच की जाएगी। तभी इस बात की पुष्टि हो पायेगी। ग्रामीणों का कहना है कि गांव की सहिया बीमारी को त्वरित संज्ञान में लेती तो सभी की जान बच सकती थी।

इस संबंध में बताया जाता है कि सहिया ने पूरे मामले की जानकारी अपने तक ही सीमित रखी। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ साझा नहीं की। लोगों ने बताया कि दूसरी मौत के बाद अगर स्वास्थ्य केंद्र को इस बात की जानकारी दी जाती है तो अन्य दोनो की जान बचाई जा सकती थी। इधर सदर अस्पताल के चिकित्सा पदाधिकारी रमेश कुमार ने कहा कि जानकारी मिलते ही गांव में डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की टीम भेज कर कैंप लगाया गया है। सभी लोगों की जांच की जा रही है।

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