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खुद के किए कार्यों को करें लिपिबद्ध : कुलपति

दरभंगा | निज प्रतिनिधि ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में सोमवार को...

खुद के किए कार्यों को करें लिपिबद्ध : कुलपति
हिन्दुस्तान टीम,दरभंगाTue, 19 Jan 2021 03:18 AM
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दरभंगा | निज प्रतिनिधि

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के जुबली हॉल में सोमवार को ‘ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय प्लेगियरिज्म पॉलिसी एवं रेगुलेशन-2018 विषय पर कुलपति प्रो. सुरेंद्र प्रताप सिंह की अध्यक्षता में कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें सभी संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, शिक्षक एवं शोध छात्र उपस्थित थे। कुलपति प्रो. सिंह ने कहा कि खुद के किये हुए कार्यों को लिपिबद्ध करें। दूसरों के किए कार्य का उल्लेख बगैर उद्धरण के न करें। पावर प्वाइंट प्रस्तुति से प्रति कुलपति प्रो. डॉली सिन्हा ने विश्वविद्यालय में लागू की जाने वाली प्लेगियरिज्म पॉलिसी का यूजीसी द्वारा निर्धारित पॉलिसी से तुलना करते हुए विस्तार से उल्लेख किया। उन्होंने प्लेगियरिज्म के प्रकार, उसकी रोकथाम के उपाय तथा इसके लिए दंड के प्रावधानों को विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि एथिक्स का पालन करने वाले शिक्षकों व शोधार्थियों को इस तरह की समस्या नहीं आएगी। उन्होंने सेल्फ प्लेगियरिज्म से बचने की भी सलाह दी। कार्यक्रम का संचालन कर रहे संयोजक सह विकास पदाधिकारी प्रो. केके साहू ने तकनीकी सत्र के संसाधन पुरुष डॉ. अशोक कुमार झा, प्राचार्य भौतिकी विभाग, पटना विश्वविद्यालय का परिचय देते हुए विषय प्रवेश किया। संसाधन पुरुष डॉ. झा ने प्लेगियरिज्म के छह स्टेप्स पर चर्चा करते हुए इसके प्रतिशत को शोध प्रबंध तैयार करते समय कैसे कम किया जा सकता है, के तकनीकी पक्षों को कई उदाहरणों के साथ सामने रखा। यूजीसी स्तर पर अनुशंसित सोफ्टवेयर ‘उरकुंड को कैसे प्रयोग किया जाय, शोध पत्रों, थेसिस, डिसर्टेसन को किस फोंट, आकार में टाईप कर अपलोड किया जाय आदि सभी विषयों की जानकारी दी गई। रिसर्च मेथोडोलॉजी के कोर्स में रिसर्च एथिक्स को पेपर के रूप में जोड़ने की सलाह दी गई। उन्होंने बताया कि शोधगंगा पर थेसिस अपलोड होने से पूर्व विश्वविद्यालय के प्रत्येक विभाग की विभागीय एकेडमिक इंटिग्रिटी कमेटी एवं विश्वविद्यालय स्तर पर गठित विश्वविद्यालय एकेडमिक इंटिग्रिटी कमेटी से अनुमोदन के बाद शोध निर्देशक द्वारा दिए गए प्रमाणपत्र की वैधता पर खरे उतरे शोध प्रबंध ही जमा हो पाऐंगे। अन्यथा पुन: विभिन्न प्रक्रिया से होकर शोध छात्र को शोध कार्य से गुजरना होगा। संसाधन पुरुष की प्रस्तुति के बाद कई बिन्दुओं पर दर्शक दीर्घा से प्रश्न पूछे गए जिसे मुख्य वक्ता ने तकनीकी ढंग से समझाया।

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