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समाज में स्त्री व पुरुष एक-दूसरे के हैं पूरक

महिलाओं के प्रति समाज में विभिन्न स्तरों पर व्याप्त मानसिकता विषयक युवा संवाद कार्यक्रम में छात्राओं की न केवल रचानात्मकता सामने आयी, बल्कि स्त्री विमर्श पर उनका चिंतन भी छलका। बलभद्रपुर में आयोजित...



समाज में स्त्री व पुरुष एक-दूसरे के हैं पूरक
हिन्दुस्तान टीम,दरभंगाFri, 30 Oct 2020 12:10 PM
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महिलाओं के प्रति समाज में विभिन्न स्तरों पर व्याप्त मानसिकता विषयक युवा संवाद कार्यक्रम में छात्राओं की न केवल रचानात्मकता सामने आयी, बल्कि स्त्री विमर्श पर उनका चिंतन भी छलका। बलभद्रपुर में आयोजित इस युवा संवाद कार्यक्रम में व्यवसायिक शिक्षण से जुड़ी छात्रों ने भाग लिया। इसमें संस्कार भारती के प्रदेश संगठन मंत्री वेद प्रकाश ने कहा कि समानता के छद्म शब्दजाल का सहारा लेकर कुछ शातिर जमातों द्वारा पुरुष-स्त्री में द्वंद पैदा कर विभेद उत्पन्न करने की कोशिश की जा रही है, जबकि स्त्री-पुरुष विपरीत ध्रुव नहीं, परस्पर एक-दूसरे के पूरक हैं। हमारे शास्त्रों में इसलिए अर्द्धनारीश्वर की कल्पना की गयी है। डॉ. मनीषा कुमारी ने स्त्री विमर्श पर अपने विचार कविता के माध्यम से रखा। वहीं नेहा कुमारी ने गीत व कविताओं के द्वारा अपने विचार रखे। इतना गुस्सा ठीक नहीं, थोड़ी खुशी इजहार करो, नफरत लाइलाज नहीं प्यार से उपचार करो। इस अवसर पर शानु रणधीर, कुमारी पुष्पा, ओडिसी नृत्यांगना और थिएटर आर्टस्टि रूपा झा, रागिनी कुमारी, मेधा झा, शोभा झा, प्रिया, तनीषा ने देश की आधी आबादी को पुरुषों की तरह सम्मान की वकालत की।

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