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भारत की प्रतिष्ठा के लिए संस्कृत का प्रसार जरूरी : राज्यपाल

कुलाधिपति सह राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि भारत को फिर से जगतगुरु के रूप में प्रतिष्ठा दिलानी है तो संस्कृत का विकास व प्रसार जरूरी है। यह समय की मांग भी है। वे गुरुवार को कामेश्वर सिंह दरभंगा...

भारत की प्रतिष्ठा के लिए संस्कृत का प्रसार जरूरी : राज्यपाल
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प्रमुख संवाददाता,दरभंगा Thu, 28 Nov 2019 07:34 PM
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कुलाधिपति सह राज्यपाल फागू चौहान ने कहा कि भारत को फिर से जगतगुरु के रूप में प्रतिष्ठा दिलानी है तो संस्कृत का विकास व प्रसार जरूरी है। यह समय की मांग भी है। वे गुरुवार को कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के शिक्षाशास्त्र विभाग के परिसर में सातवें दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संस्कृत के ज्ञान के अभाव में हम न तो भारत की सांस्कृतिक सम्पन्नता और विपुल ज्ञान सम्पदा से परिचित हो पाएंगे और न ही अपने राष्ट्र की भावनात्मक एकता को सुरक्षित रख पाएंगे।
उन्होंने संस्कृत की समृद्धि के लिए बहुमूल्य पांडुलिपियों के संरक्षण व उसके डिजिटलाइजेशन पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वसुधैव कुटुम्बकम की शिक्षा संस्कृत से ही मिली है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की उपयोगिता और सफलता, आर्यभट्ट द्वारा शून्य की खोज, अणु-परमाणु की परिकल्पना, शल्य चिकित्सा के जनक के रूप में सुश्रुत की प्रसिद्धि संस्कृत की महान परंपरा व विरासत का परिचय देती है। विश्व के ज्ञान-विज्ञान के सम्पूर्ण विषय संस्कृत साहित्य में सुरक्षित हैं। उन्होंने संस्कृत को विश्व की सर्वश्रेष्ठ भाषा बताया। 
अपने सम्बोधन के क्रम में राज्यपाल ने संस्कृत विश्वविद्यालय के संस्थापक महाराजाधिराज डॉ.सर कामेश्वर सिंह के प्रति श्रद्धा निवेदित करते हुए उनके संस्कृत शिक्षा प्रेम को नमन किया। इसके बाद छात्र-छात्राओं को उपाधियों प्रदान कीं। समारोह के दौरान कुल आठ छात्र-छात्राओं को गोल्ड मेडल दिया गया। विवि के पीजी वेद विभाग के मनोरंजन कुमार झा ओवरऑल टॉपर रहे। उन्हें दो गोल्ड मेडल दिए गए। कुल 133 छात्र-छात्राओं को उपाधियां दी गईं। समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली के कुलपति प्रो. पीएन शास्त्री व कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.सर्वनारायण झा ने भी संबोधित किया। 
 

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