दान देकर विपत्तियों में फंसने को शास्त्रों ने किया है निषेध
जाले | एक संवाददाता रतनपुर स्थित अति प्राचीन शिवालय गंगेश्वरस्थान में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान...
जाले | एक संवाददाता
रतनपुर स्थित अति प्राचीन शिवालय गंगेश्वरस्थान में श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान सप्ताह महायज्ञ के तीसरे दिन मंगलवार को भागवताचार्य सीताराम दासजी महाराज ने भक्त प्रहलाद की कथा सुनाकर भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। उन्होंने कहा कि नारद महाराज ने भगवान को जल्द प्रसन्न करने के तीन उपाय बताए थे। प्राणी मात्र पर दया का भाव रखना, हमें जो भी प्राप्त है, उससे संतुष्ट रहना और इंद्रियों पर संयम रखना। ये तीन कार्य जिसने कर लिए भगवान विष्णु उस पर प्रसन्न हो जाते हैं। उन्होंने मुक्ति के द्वार और नरक के द्वार का वर्णन करते हुए कहा कि महापुरुषों की सेवा ही मुक्ति का द्वार है और कुमाग्री व्यक्तियों का संग करना ही नरक का द्वार है। उन्होंने भक्त प्रहलाद के चरित्र का वर्णन करते हुए कहा कि प्रहलाद महाराज सनकादिकों के अवतार थे। हमारे शास्त्रों में आस्तिकों को भगवनदर्शन कराने वाले बहुत सारे मनीषियों की चर्चा है, परन्तु भक्त प्रह्लाद ने नास्तिक को भगवान का दर्शन कराया था, यह बातें प्रहलाद-चरित्र की अनुपम विशेषता है।