भादो और पूस माह में नहीं आते हैं श्रद्धालु
शहर के महाराजी पुल से सती स्थान की दूरी एक किलोमीटर है। यहां सती चौरा है, जहां लोग सती मैया की पूजा करते हैं। पहले सती को प्रेत माना जाता था, लेकिन फिर पूजा की परंपरा शुरू हुई। हर सोमवार, शुक्रवार और...

शहर के महाराजी पुल से सती स्थान की दूरी करीब एक किलोमीटर है। बागमती नदी किनारे होकर शुभंकरपुर श्मशानघाट जाने वाली सड़क के बगल में मौजूद आम गाछी में सती चौरा है। गुड्डू तिवारी, कबूतरी देवी, सुनील कुमार आदि बताते हैं कि पहले सती मैया को लोग प्रेत मानते थे। फिर स्वप्न में सती मैया से मिले आदेश के मुताबिक वंशजों ने चिता स्थल पर मिले पत्थर को पिंडी रूप में पूजा शुरू की। उन्होंने बताया कि इसके बाद पीढ़ियों से रोजाना मैया की पूजा हो रही है। हालांकि मनौती मांगने व चढ़ावा वाले श्रद्धालुओं भादो व पूस के महीने में नहीं आते हैं।
अन्य दिनों में रोजाना लोग मैया के दर्शन को आते हैं। उन्होंने बताया कि सप्ताह में सोमवार व शुक्रवार को सबसे अधिक भक्तों की भीड़ रहती है, जबकि नवरात्रि के 10 दिनों में भक्तों का सैलाब उमड़ता है। सैकड़ों दुकानें दिन-रात सजी रहती हैं।
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