रसभरी लीची बाजार में उतरी, पर डिमांड कम
शहर के दरभंगा-लहेरियासराय के बाजार में रसभरी लीची आ गयी है। प्रमुख चौक-चौराहों पर टोकरी भर-भरकर बगीचे से पहुंच रही है। यद्यपि इसका रंग लाल नहीं होने के साथ स्वाद मीठा नहीं है। लीची हल्का लाल और हरा...
शहर के दरभंगा-लहेरियासराय के बाजार में रसभरी लीची आ गयी है। प्रमुख चौक-चौराहों पर टोकरी भर-भरकर बगीचे से पहुंच रही है। यद्यपि इसका रंग लाल नहीं होने के साथ स्वाद मीठा नहीं है। लीची हल्का लाल और हरा होने से इसकी डिमांड कम है।
इसका भाव अभी 120 से 130 रुपये सैकड़ा होने से भी खरीदार भाव पूछकर रह जाते हैं। शहर के लहेरियासराय टावर चौक, बेंता, लोहिया चौक, लहेरियासराय बस पड़ाव, दरभंगा गुदरी बाजार, दरभंगा टावर चौक, बस पड़ाव सहित कई इलाकों में बिक्री के लिए यह भीगो, वाजितपुर, शुभंकरपुर आदि क्षेत्रों के बगीचे से लायी जाती रही है।
पानी के अभाव में लाल नहीं: विक्रेताओं का कहना है कि लीची को कम से कम दो-तीन बार प्राकृतिक पानी मिलने पर इसका रंग लाल और मीठा होता है। इस वर्ष पानी नहीं होने से यह लाल नहीं हो सका है। इसके कारण आकार भी छोटा ही है।
डिमांड कम: अभी इसमें गूदा भी नहीं होने से लोग गर्मी का सीजनल फल होने के कारण स्वाद के लिए 25 से 50 पीस ही खरीद रहे हैं। आकार बड़ा और लाल होने पर इसकी मांग बढ़ेगी।
दूसरे जिलों से भी आवक: समस्तीपुर, पूसा, कल्याणपुर, मुजफ्फरपुर आदि क्षेत्रों से टोकरी में भरकर आने पर इसका भाव घटेगा। लोगों का कहना है कि पूरबा हवा चलने पर इसमें कीड़ा लगने की आशंका से इसकी बिक्री की जा रही है। इसका भाव चारों ओर से आवक होने पर गिरेगा।