मैथिली विभाग में मनाई गई राजकमल जयंती
दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पीजी मैथिली विभाग में सोमवार को मैथिली-हिन्दी के...

दरभंगा। ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के पीजी मैथिली विभाग में सोमवार को मैथिली-हिन्दी के चर्चित साहित्यकार राजकमल चौधरी की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर पटना विश्वविद्यालय के पूर्व मैथिली विभागाध्यक्ष प्रो. सत्यनारायण मेहता ने मुख्य अतिथि के रूप में कहा कि राजकमल चौधरी अपने जीवन की अल्प अवधि में साहित्य के क्षेत्र में इतने काम कर गए जो पांच दशक में भी नहीं किया जा सकता। प्रो. दमन कुमार झा ने राजकमल के लेखन एवं उनके शिल्प की चर्चा की, जो मैथिली साहित्य के लिए बिल्कुल नई थी। प्रो. अशोक कुमार मेहता ने राजकमल चौधरी के व्यक्तित्व एवं कृतित्व की विषद चर्चा की। विभागाध्यक्ष प्रो. रमेश झा ने कहा कि राजकमल चौधरी की कई कहानियां मैथिली साहित्य में मील का पत्थर साबित हुई हैं। उन्होंने कविता में छंद एवं अलंकार को आवश्यकता की श्रेणी में नहीं रखा। वे कहते थे कि कविता लिखने के लिये सिर्फ शब्द चाहिए, तभी कविता में धार लायी जा सकती है। अध्यक्षीय संबोधन में मानविकी संकायाध्यक्ष प्रो. रमण झा ने कहा कि राजकमल चौधरी का पूरा नाम मणीन्द्र नारायण चौधरी था। उनका जन्म 13 दिसम्बर 1929 को महिषी सहरसा में हुआ था। अपने जीवन काल में वे केवल दो ही पुस्तकें प्रकाशित देख सके। आदिकथा उपन्यास और स्वरगंधा कविता संग्रह। इसके बाद उनकी कई पुस्तकें प्रकाशित हुई जो बाद में चर्चित व प्रसंशित हुई। इस अवसर पर मैथिली विभाग के शोधार्थी एवं छात्र-छात्राओं में दीपेश, शालिनी, विभा, राजश्री, वंदना, दीपक, नीतू, सत्यनारायण, रूपेश कुमार आदि थे।
