ओपीडी में इलाज नहीं होने से भगवान भरोसे लौटे मरीज
डीएमसीएच के सेंट्रल ओपीडी के सामने सोमवार की सुबह करीब आठ बजे मरीजों की भीड़ लगी थी। मरीजों का वहां पहुंचना भी लगातार जारी था। कोई अपने परिजनों के साथ रिक्शे पर लदकर पहुंच रहा था तो किसी को उनके परिजन...
डीएमसीएच के सेंट्रल ओपीडी के सामने सोमवार की सुबह करीब आठ बजे मरीजों की भीड़ लगी थी। मरीजों का वहां पहुंचना भी लगातार जारी था। कोई अपने परिजनों के साथ रिक्शे पर लदकर पहुंच रहा था तो किसी को उनके परिजन ऑटो पर लादकर वहां पहुंचे थे। इस उम्मीद के साथ कि वहां इलाज होने से उनकी तबीयत ठीक हो जाएगी। देखते-देखते वहां सैकड़ों मरीज अपने परिजनों के साथ पहुंच गए। ओपीडी में इलाज ठप रहने की जानकारी मिलने पर उनलोगों के होश उड़ गए। अपनी किस्मत को कोसते हुए मरीजों का वहां से लौटना शुरू हो गया।
डीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से मरीजों की घोर फजीहत हो रही है। कोई समय पर डीएमसीएच पहुंचने के लिए अहले सुबह चार बजे ही अपने घर से निकला था तो काई बाढ़ का पानी हेलने के बाद अस्पताल तक पहुंच सका था। कुशेश्वरस्थान से इलाज के लिए पहुंचे शंभू मुखिया ने बताया कि वे पिछले कई दिनों से बुखार से पीड़ित हैं। गांव में काफी इलाज कराया था पर कोई फायदा नहीं पहुंचा। इस उम्मीद के साथ डीएमसीएच पहुंचे थे कि बड़े डॉक्टरों से दिखाने के बाद वे स्वस्थ्य हो जाएंगे। यहां आकर पता चला कि हड़ताल के कारण इलाज ठप है।
उन्होंने कहा कि उनके पास इतने पैसे नहीं हैं जो वह प्राइवेट में इलाज करा सकें। गांव लौटने के अलावा उनके पास कोई चारा नहीं है। सुपौल से इलाज के लिए डीएमसीएच पहुंचे राधे सहनी ने बताया कि वे पिछले कई दिनों से भीषण पेट दर्द से परेशान हैं। डीएमसीएच पहुंचने के लिए उन्होंने सुबह चार बजे ही बस पकड़ी थी। यहां पहुंचने पर पता चला कि हड़ताल की वजह से ओपीडी ठप है। उन्होंने कहा कि हड़ताल कर डॉक्टर तो अपनी मांगें मनवा लेंगे। गरीब व लाचार मरीजों को जो पीड़ा झेलनी पड़ रही है, उससे उनलोगों को कोई लेना-देना नहीं है।