जर्जर सर्जिकल भवन में मरीजों का होता है इलाज
डीएमसीएच के सर्जिकल भवन में सैकड़ों मरीजों की जान खतरे में डालकर उनका इलाज किया जा रहा है। पूरे भवन को भवन निर्माण विभाग कई वर्ष पहले ही क्षतिग्रस्त घोषित कर चुका है। विभाग की ओर से आशंका जाहिर की गई...
डीएमसीएच के सर्जिकल भवन में सैकड़ों मरीजों की जान खतरे में डालकर उनका इलाज किया जा रहा है। पूरे भवन को भवन निर्माण विभाग कई वर्ष पहले ही क्षतिग्रस्त घोषित कर चुका है। विभाग की ओर से आशंका जाहिर की गई थी कि भवन में मरीजों को रखना खतरनाक है। वहां कभी भी कोई हादसा हो सकता है। स्वास्थ्य विभाग भी सर्जिकल भवन को खाली करने का मौखिक आदेश दे चुका है। जगह की कमी के कारण अस्पताल प्रबंधन मरीजों को वहां रखने को विवश है।
सर्जिकल भवन की जर्जरता को देखते हुए सरकार ने नए भवन के निर्माण के लिए राशि स्वीकृत कर दी। भवन के निर्माण के लिए अस्पताल अधीक्षक के कार्यालय के पीछे की जगह का चयन किया गया। हालाकि जिस जगह का चयन किया गया,वहां भवन का निर्माण शुरू करने से पहले ही कई तरह की परेशानी आ रही है। इस वजह से सर्जिकल भवन का निर्माण शुरू कराना अस्पताल प्रशासन के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रही है।
सर्जिकल भवन के निर्माण के लिए जो जगह चयनित की गई है वहां पहले से कर्मचारियों के रहने के लिए दर्जनों क्वार्टर बने हैं। वहां पीएचईडी का एक वॉटर टैंक भी अवस्थित है। सरकार के निर्देश के बावजूद सर्जिकल भवन का निर्माण कार्य शुरू होने के लिए अभी तक न ही वहां अवस्थित क्वार्टरों को खाली कराया जा सका है और न ही वॉटर टैंक को वहां से हटाया जा सका है। कई कर्मचारी वहां के क्वार्टर खाली नहीं करने की जिद्द पर अड़े हैं। उनलोगों का कहना है कि जब तक उनलोगों को रहने लायक क्वार्टर नहीं दिए जाएंगे,तब तक वे मौजूदा जगह पर ही जमे रहेंगे। वहीं दूसरी ओर अस्पताल प्रशासन की ओर से कई पत्र लिखे जाने के बावजूद पीएसईडी अभी तक वहां से वॉटर टैंक को हटा नहीं सका है। बताया जाता है कि उसे तोड़कर हटाने के लिए विभाग की ओर से टंडर निकाला गया है।
इधर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सर्जिकल भवन का निर्माण कार्य शुरू कराने के लिए लगातार अस्पताल प्रबंधन को पत्र लिख रहे हैं। वहीं डीएम को भी पत्र लिख कर जगह खाली कराने का अनुरोध किया गया है। तमाम कवायद के बीच महीनों से वहां की स्थिति जस की तस बनी हुई है। शायद सभी जिम्मेदार अधिकारियों को किसी हादसे का इंतजार है। खुदा न खास्ते मौजूदा जर्जर सर्जिकल भवन में कोई हादसा हो जाता है तो शायद ही किसी की गर्दन बच सकेगी।
बोले अधिकारी
कर्मचारियों को क्वार्टर खाली करने के लिए कई बार नोटिस जारी किया जा चुका है। पीएचईडी को भी पानी टंकी हटाने के लिए कई बार पत्र लिखा जा चुका है। विभाग की ओर से प्रशासनिक अधिकारियों से भी जगह खाली कराने का अनुरोध किया गया है। जगह खाली होते काम शुरू हो जाएगा।
- डॉ. बोलश्वर सागर, प्रभारी अधीक्षक , डीएमसीएच