तेज हवा और मूसलधार बारिश में तबाह हुई धान की फसल
सिंहवाड़ा। लगातार हुई मूसलधार बारिश एवं तेज हवा के झोंके से खेतों में लगाए
सिंहवाड़ा। लगातार हुई मूसलधार बारिश एवं तेज हवा के झोंके से खेतों में लगाए गए धान के पौधे बाली सहित गिर गए। किसानों ने बताया कि आधा अक्टूबर के बाद खेतों में हुए जलजमाव के कारण दलहन और तेलहन के फसल की आस भी समाप्त हो गई है। पैड़ा के किसान विमलेश चंद्र सिंह ने बताया कि सनातन कृषि वैज्ञानिक घाघ ने भी कहा था कि आधा चित्रा राई सोहराई, आधा चित्रा जौ केराई। चित्रा में हुए जलजमाव से दलहन और तिलहन की फसल लगाने में देर हो जाती है। हरपुर के किसान महेश दुबे, प्रदीप तिवारी, विनोद पासवान, उत्तम साह आदि ने बताया कि गोयरा जमीन में थोड़ी बहुत धान की फसल बाढ़ से बच गई थी। लेकिन तेज आंधी और बारिश में बाली सहित धान के पौधे पानी में गिर गए। किसानों ने बताया कि धान की फसल अभी तैयार भी नहीं हुई थी कि किसानों को इस बर्बादी का मुंह देखना पड़ा। किसानों ने बताया की लगातार हुई बारिश एवं बाढ़ के कारण इस वर्ष धान की फसल पहले ही तबाह हो गई थी। गोयरा जमीन में लगी धान की फसल तेज हवा और बारिश में गिर कर बर्बाद हो गयी। दलहन एवं तिलहन की खेती के लिए कटका निवासी प्रभु दयाल सिंह, चंदेश्वर कामती, लाल बहादुर चौपाल, रामाशीष राम आदि ने खेतों में बीज लगा दिए थे। लेकिन, इन किसानों ने बताया कि बारिश के कारण अब यह पौधे ठीक से जनम नहीं सकेंगे। कमलेश शाह, लखींद्र चौपाल, रामाशीष राम, ललन शाह आदि ग्रामीणों ने बताया कि दलहन तेलहन के लिए तैयार खेत में जलजमाव होने के कारण अब यह फसल लगाने में देर हो जाएगी। जिससे दलहन और तेलहन का उत्पादन नहीं के बराबर होगा। ऐसी स्थिति में खर्च भी हो जाएगा और दलहन तेलहन की समस्या से निजात भी नहीं मिलेगी।