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मानकों के पालन में पिछड़ रहे जिले के अधिकतर कोचिंग संस्थान

दरभंगा। शहर में लगभग पांच सौ से अधिक कोचिंग संस्थान संचालित हैं। इन संस्थानों...

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाFri, 2 Aug 2024 01:15 AM
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मानकों के पालन में पिछड़ रहे जिले के अधिकतर कोचिंग संस्थान

दरभंगा। शहर में लगभग पांच सौ से अधिक कोचिंग संस्थान संचालित हैं। इन संस्थानों में लगभग 50 हजार से अधिक छात्र-छात्राएं रोज पढ़ने जाते हैं। बुनियादी सुविधाओं के स्तर पर इनमें से अधिकतर कोचिंग संस्थान फेल हैं। इक्का-दुक्का संस्थानों को छोड़ कहीं भी मानकों का पालन नहीं किया जाता। छात्र-छात्राएं मनमाना शुल्क देने के बाद भी जान जोखिम में डाल कर इन कोचिंग संस्थानों में अपने भविष्य को संवारने की लालसा में पहुंच रहे हैं। शहर में मेडिकल-इंजीनियरिंग के साथ ही मैट्रिक-इंटर व प्रतियोगी परीक्षाओं से जुड़े कोचिंग केंद्र संचालित हो रहे हैं। शहर के अधिकतर कोचिंग संस्थानों में पेयजल, बिजली, छात्र-छात्राओं के लिए अलग-अलग शौचालय, साइकिल स्टैंड आदि की सुविधाएं नदारद हैं। शहर के दिग्घी पश्चिम, भटियारीसराय, बंगाली टोला का इलाका कोचिंग हब के रूप में बढ़ रहा है। इन इलाकों में कोचिंग क्लास के लिए कमरे व मकान किराए पर देना व्यवसाय का रूप ले चुका है। छोटे-छोटे कमरों में कोचिंग क्लासेज चल रहे हैं जहां ना छात्रों के बैठने की पर्याप्त व्यवस्थाएं होती हैं, ना पार्किंग की। सड़कों के किनारे साइकिलों की कतार लगी रहती है। क्लास खत्म होने पर पूरी सड़क छात्र-छात्राओं से पटी रहती हैं। इन इलाकों में मानकों की जमकर अनदेखी की जाती है। बच्चों की जान पर हमेशा जोखिम बना रहता है। एक हल्की सी चूक बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकती है। शहर में शायद ही कोई इलाका हो जहां कोचिंग संस्थान का बोर्ड नजर नहीं आता। हालांकि प्रशासन देख कर भी इन्हें अनदेखा करता आया है। बाजार का इलाका छोड़ दें तो अधिकतर कोचिंग संस्थान आवासीय भवनों में चलाए जा रहे हैं। इनमें घरेलू बिजली का इस्तेमाल होता है। ऐसे अधिकतर कोचिंग संस्थान अनिबंधित हैं। इन कोचिंग संस्थानों में छात्र-छात्राओं से फीस तो मनमाना वसूला जाता है, लेकिन उन्हें बुनियादी सुविधाएं भी मयस्सर नहीं हो पाती। भटियारीसराय के कोचिंग सेंटरों में जाने वाले मनीष कुमार, विकास कुमार, रोमा कुमारी, अनुराधा कुमारी, अर्चना कुमारी, ललित कुमार आदि ने बताया कि वे ग्रामीण इलाकों से आते हैं। वे जिस कोचिंग में पढ़ने जाते हैं, वहां कई दिक्कतें हैं। वे मजबूरी में कोचिंग करने जाते हैं। अधिक फीस वसूलने के बाद भी समुचित सुविधा नहीं दी जाती। अभिभावक मोहन कुमार, डॉ. प्रेमकांत झा ने बताया कि बच्चे छोटे हों तो अभिभावक सुविधाओं की जांच किए बिना आसपास के कोचिंग को ही प्राथमिकता देते हैं। दिल्ली में घटी घटना के बाद अभिभावकों की चिंता बढ़ी है। कोचिंग संचालक मुकेश कुमार ने बताया कि वे बच्चों को यथासंभव सुविधाएं मुहैया कराने का प्रयास करते हैं। आज कोचिंग व्यवसाय बन चुका है, लेकिन बच्चों के हित को देखते हुए मानकों का अनुपालन जरूरी है।

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