ट्रेंडिंग न्यूज़

Hindi News बिहार दरभंगाविद्वत परंपरा के लिए विख्यात रही है मिथिला

विद्वत परंपरा के लिए विख्यात रही है मिथिला

विद्वत परंपरा के लिए मिथिला विख्यात रही है और यह विद्वानों की धरा कहलाती है। यहां एक से बढ़कर एक महाज्ञानी हुए हैं और विद्वता रूपी धरोहर को मिथिला आज भी संजोए हुए है। इस धरोहर को आगे बढ़ाने में हमारे...

विद्वत परंपरा के लिए विख्यात रही है मिथिला
हिन्दुस्तान टीम,दरभंगाFri, 08 Mar 2019 05:39 PM
ऐप पर पढ़ें

विद्वत परंपरा के लिए मिथिला विख्यात रही है और यह विद्वानों की धरा कहलाती है। यहां एक से बढ़कर एक महाज्ञानी हुए हैं और विद्वता रूपी धरोहर को मिथिला आज भी संजोए हुए है। इस धरोहर को आगे बढ़ाने में हमारे विद्यार्थी, महाविद्यालयों और विश्वविद्यालय अहम भूमिका का निर्वहन कर रहा है।

ये बातें लनामि विवि के कुलसचिव कर्नल निशीथ कुमार राय ने कही। स्वयंसेवी संस्था डॉ. प्रभात फाउण्डेशन एवं पीजी समाजशास्त्र विभाग के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित ‘सांस्कृतिक धरोहर और मिथिला विषयक सेमिनार को उद्घाटनकर्ता के रूप में संबोधित करते हुए कुलसचिव राय ने कहा कि हमारे यहां आज लड़कियां लड़कों की अपेक्षा ज्यादा मात्रा में टॉपर बन रही हैं तो इसकी वजह भी हमारी सांस्कृतिक परंपराएं हैं। मिथिला में महिलाओं को प्राचीन काल से ही विदुषी की भांति बढ़ावा मिलता रहा है।

मुख्य अतिथि प्राक्कलन समिति के सभापति सह नगर विधायक संजय सरावगी ने कहा कि मिथिला की संस्कृति विश्वविख्यात है। याज्ञवल्क्य, मंडन मिश्र और मैथिल कोकिल विद्यापति हमारी संस्कृति के प्रतीक रहे हैं। शास्त्रार्थ की परंपरा हमारी विरासत रही है। इसे फिर से संस्कृत विश्वविद्यालय में शुरू किया गया है। यहां के राज पुस्तकालय में हजारों वर्ष पुरानी पांडुलिपियां रखी हैं। इससे हमारी सभ्यता-संस्कृति का बोध होता है और विदेशों से विद्वान आकर इस पर शोध कर रहे हैं। प्रारंभ में सांस्कृतिक धरोहरों पर ध्यान नहीं दिया गया, जिसके कारण यहां की विरासत का क्षरण हुआ पर अब इसे संजोया और संरक्षित किया जा रहा है।

विशिष्ट अतिथि डॉ. वैद्यनाथ चैधरी ‘बैजू ने कहा कि जनकनंदनी सीता और हिमालय पुत्री पार्वती हमारी धरोहर हैं और आज भी हमारे घरों में ये कुलदेवी के रूप में पूजी जाती हैं। हमारी धरोहरों को संरक्षण दिया जा रहा है। मिथिला पेटिंग, मिथिलाक्षर आदि के संबर्द्धन के लिए मैथिल सेनानी प्रयास कर रहे हैं। सेमिनार की अध्यक्षता करते हुए समाजशास्त्र विभागाध्यक्ष डॉ. विनोद कुमार चौधरी ने कहा कि संस्कृति की जीवंतता हमारी पहचान है। समाज का विकास हो तभी संस्कृति भी विकसित होती है। अतिथियों का स्वागत फाउण्डेशन के सचिव मुकेश कुमार झा ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ. मंजू झा ने किया। मौके पर प्रो. मो. मुख्तार, डॉ. मो. इफ्तेखार अहमद, डॉ. अनीस अहमद, फाउण्डेशन के राजकुमार गणेशन, अनिल कुमार सिंह, मनीष आनंद, नवीन कुमार आदि उपस्थित थे।

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें