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जालीनोट के धंधेबाज को सात साल की हुई सजा

जालीनोट के धंधे में संलिप्त जमालपुर थाना के भुसकौल गांव के जीतन मंडल के पुत्र डोमी मंडल को बेनीपुर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय विष्णुदेव उपाध्याय की अदालत ने बुधवार को भादवी की धारा 489 बी के...

जालीनोट के धंधेबाज को सात साल की हुई सजा
हिन्दुस्तान टीम,दरभंगाThu, 26 Apr 2018 12:08 AM
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जालीनोट के धंधे में संलिप्त जमालपुर थाना के भुसकौल गांव के जीतन मंडल के पुत्र डोमी मंडल को बेनीपुर अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वितीय विष्णुदेव उपाध्याय की अदालत ने बुधवार को भादवी की धारा 489 बी के तहत 7 साल का सश्रम कारावास तथा 10 हजार अर्थदण्ड की सजा सुनाई है। अर्थदण्ड नहीं जमा करने पर 6 माह का अतिरिक्त सजा काटना होगा। अदालत ने 20 अप्रैल को अभियुक्त को दोषी करार दिया था। अपर लोक अभियोजक अशफाक अहमद ने अभियोजन की ओर से बहस किया।

श्री अहमद के मुताबिक अभियुक्त डोमी मंडल 14 मार्च 2015 को बिरौल थाना क्षेत्र के रजवा गांव में राहुल मंडल के दुकान पर जालीनोट को असली नोट बताकर सामान खरीद रहा था। इसी बीच बिरौल थानाध्यक्ष मदन प्रसाद सिंह को संध्या गश्ती के दौरान गुप्त सूचना मिली कि जालीनोट के धंधा करने वाला रजवा गांव में दुकानदार राहुल से सामान खरीद रहा है। पुलिस ने वहां पहुंचकर अभियुक्त डोमी को गिरफ्तार कियाथा। तालाशी के दौरान अभियुक्त के फुलपेंट के जेब से पचास रुपये के सत्तर नोट बरामद किया गया। नोट पर सिल्वर थ्रेड भी नहीं था। एक ही नंबर के कुछ नोट पाया गया। जब्त नोटों को एसबीआई सुपौल (बिरौल) शाखा में जांच कराई गई। सभी नोट जाली निकला।

एपीपी अहमद के मुताबिक थानाध्यक्ष ने सूचक के रूप में बिरौल थाना में एफआईआर दर्ज कराकर डोमी मंडल को अभियुक्त बनाया। पुलिस ने पूरे मामले का अनुसंधान कर अभियुक्त डोमी मंडल के विरूद्ध 15 जून 2015 को न्यायालय में आरोप पत्र सौंप दिया। अदालत ने पूरे मामले की सुनवाई कर 28 अक्टूबर 2015 को अभियुक्त के विरूद्ध आरोप का गठन किया। सुनवाई के दौरान न्यायालय में तत्कालीन थानाध्यक्ष मदन प्रसाद सिन्हा, एसआई धर्मेन्द्र झा, तत्कालीन शाखा प्रबंधक युगल प्रसाद सिंह सहित 5 लोगों ने गवाही दी। अदालत ने 20 अप्रैल को डोमी को जालीनोट के धंधे में संलिप्त होने के विरूद्ध दोषी करार दिया।

मैं निर्दोश हूं, मुझे फंसाया गया : बेनीपुर। सजा सुनने के बाद अभियुक्त डोमी मंडल ने कहा कि मैं निर्दोश हूं। मुझे फंसाया गया है। न्यायालय के फैसला का सम्मान करता हूं लेकिन उच्च न्यायालय में न्याय की गुहार लगाउंगा। पुरानी दुश्मनी के कारण साजिश के तहत मेरे जेब में जालीनोट रखकर मुझें फंसाया गया है।

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