दिशा ईमानदार हो तो दशा सुधरना निश्चित : वीसी
दरभंगा में आयोजित एक संगोष्ठी में कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने कर्तव्य और अधिकारों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षकेतर कर्मचारियों को अपने अधिकारों को समझने और कर्तव्यों को निष्ठा से...

दरभंगा, नगर संवाददाता। कर्तव्य और अधिकार दोनों एक दूसरे के पूरक हैं और दोनों ही किसी संस्थान की कार्य संस्कृति को प्रगतिशील बनाने में महत्वपूर्ण हैं। अधिकार यदि कर्मचारियों की स्वतंत्रता और सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं तो कर्तव्य उन्हें उनके अधिकारों का जिम्मेदारीपूर्वक उपयोग करना सिखाते हैं। बिहार राज्य विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालय कर्मचारी महासंघ के लनामिवि प्रक्षेत्र के तत्वावधान में रविवार को आयोजित संगोष्ठी का उद्घाटन करते हुए कुलपति प्रो. संजय कुमार चौधरी ने ये बातें कही। वर्तमान समय में शिक्षकेतर कर्मचारियों की दशा एवं दिशा विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कुलपति प्रो. चौधरी ने कहा कि एक अच्छी कार्यसंस्कृति के निर्माण और इसके सुचारू संचालन के लिए कर्मचारियों को अपने अधिकारों को समझने के साथ-साथ अपने कर्तव्यों को भी पूरी निष्ठा से निभाना आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि कर्मचारियों में निहित अनुशासन, कला कौशल व दक्षता उनके भविष्य की दशा और दिशा को सुदृढ़ करता है। उन्होंने कर्मचारियों से विभिन्न फाइलों के बेहतर क्रियान्वयन के लिए स्वयं की सूझबूझ के साथ इसे विधिवत विकसित करने का आह्वान किया। मुख्य अतिथि अखिल भारतीय महाविद्यालय एवं विश्वविद्यालय फेडरेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुजीत आरबी सिंह ने कहा कि मानव जीवन में संगठन का बड़ा महत्व है। अकेला मनुष्य शक्तिहीन है। संगठित होने पर उसमें अद्भुत शक्ति आ जाती है जो सभी समस्याओं का हल ढूंढने के काबिल होता है। पूर्व कुलपति डॉ. समरेंद्र प्रताप सिंह ने वर्तमान समय में विवि प्रशासन एवं कर्मचारियों के बीच स्थापित सौहार्दपूर्ण संबंध की सराहना की। पूर्व कुलपति डॉ. सुरेंद्र मोहन झा ने विश्वविद्यालय के नियम एवं परिनियम में वर्णित कर्मचारियों के अधिकार एवं कर्तव्यों की चर्चा करते हुए उन्हें पूर्णत: दक्ष बनाने के लिए निरंतर कार्यशाला आयोजित किए जाने की आवश्यकता पर बल दिया। पूर्व विधान पार्षद सह डीन साइंस प्रो. दिलीप कुमार चौधरी ने संगठन की एकता में बल होने को इंगित करते कहा कि जिस प्रकार प्रत्येक फूल अपनी-अपनी विशेषता और विविधता से किसी बगीचे को सुंदर व आकर्षित बना देते हैं उसी तरह कर्मचारी भी अपनी-अपनी विशेषता और योग्यता से किसी भी कार्य को नया आयाम प्रदान कर सकते हैं। सीनेट एवं सिंडिकेट सदस्य डॉ. बैद्यनाथ चौधरी बैजू ने कहा कि संगठन के बिना कोई आदर्श समाज स्थापित नहीं हो सकता, क्योंकि संगठन ही समाज एवं देश के लिए अमोघ शक्ति है। संगठन व्यक्ति को व्यक्ति से जोड़कर बेहतर भविष्य निर्माण की आधारशिला रखता है। महासंघ के मुख्य संरक्षक गंगा प्रसाद झा ने डॉ. एके सेन द्वारा स्थापित कर्मचारी महासंघ की स्थापना के पूर्व और बाद की यथास्थिति को रेखांकित करते हुए कहा कि संगठित कर्मचारी विभिन्न क्षेत्रों में आज भी प्रगति के मार्ग पर अग्रसर हैं। अध्यक्षता करते हुए अशोक कुंवर ने वर्तमान समय में शिक्षकेतर कर्मचारियों की दशा व दिशा की सूक्ष्म पड़ताल करते हुए शासन, प्रशासन और कर्मचारियों को ईमानदारी से आत्मावलोकन करने का आह्वान किया। संगोष्ठी में नारायण साहा, वेंकटेश प्रसाद, रोहित कुमार, ब्रज किशोर प्रसाद सिंह, इंद्र कुमार दास आदि ने भी विचार रखे। अतिथियों का स्वागत करते हुए प्रक्षेत्रीय मंत्री विनय कुमार झा ने प्रक्षेत्र की गतिविधियों और इसकी उपलब्धियों की विस्तार से चर्चा करते हुए संगोष्ठी के आयोजन पर प्रकाश डाला। सीएम साइंस कॉलेज के आईक्यूएसी सहायक प्रवीण कुमार झा के संचालन में आयोजित कार्यक्रम में धन्यवाद ज्ञापन प्रक्षेत्र के संरक्षक मो. शमशाद अली कमर ने किया। कार्यक्रम में विवि अंतर्गत चार जिलों के कॉलेजों में कार्यरत शिक्षकेतर कर्मचारी बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
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