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विशेषज्ञों ने शास्त्रीय नृत्य व सिक्की कला के दिए टिप्स

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग में गुरुवार को सर्टिफिकेट कोर्स के अन्तर्गत शास्त्रीय नृत्य एवं सिक्की कला की कक्षाओं में छात्र - छात्राओं को ...

विशेषज्ञों ने शास्त्रीय नृत्य व सिक्की कला के दिए टिप्स
हिन्दुस्तान टीम,दरभंगाFri, 21 Sep 2018 04:37 PM
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ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग में गुरुवार को सर्टिफिकेट कोर्स के अन्तर्गत शास्त्रीय नृत्य एवं सिक्की कला की कक्षाओं में छात्र - छात्राओं को आमंत्रित विशेषज्ञों ने बहुमूल्य जानकारियां दीं।

स्थानीय एमएलएसएम कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. विद्यानाथ झा ने सिक्की तृण से सम्बन्धित विस्तृत एवं शोधपूर्ण जानकारी दी । उन्होंने बताया कि सिक्की का अन्तरराष्ट्रीय वानस्पतिक नाम ‘क्रइसोपोगोनजीजेनीवाइडिस है। इसका अंग्रेजी नाम ‘वेटिभर तथा संस्कृत में इसे ‘वीरण कहते हैं । हिन्दी में ‘खस तथा मिथिला क्षेत्र में ‘कतराझार कहते हैं इसे। सिक्की शब्द संस्कृत के ‘इषीक शब्द से निकला है । कतराझार का पुष्पक्रम वृन्त ( डंठल ) से कलाकृतियां बनाई जाती हैं । दक्षिण भारत में इसकी जड़ से तो विदेशों में इसके पत्तों से कलाकृतियां बनाई जाती हैं । वहीं, दूसरी ओर राजेश कुमार ने सिक्की आर्ट के बारे में बताया।

शास्त्रीय नृत्य की विशेषज्ञा डॉ. रंजना सरकार , एल एन कॉलेज, नारायणपुर, वैशाली ने कथक नृत्य से सम्बन्धित महत्वपूर्ण बातों को बताया यथा - नाट्य शास्त्र के अनुसार नृत्य के तत्व, नृत्यपरक विभिन्न मुद्राएं तथा गायन, वादन और नृत्य का आपसी सम्बन्ध इत्यादि । डॉ. सरकार ने उपस्थित विद्यार्थियों को नृत्य की मुद्राओं का अभ्यास भी करवाया । ओडिसी नर्तक नयन मांझी ने ओडिसी नृत्य की भंगिमाओं तथा इसके प्रमुख तत्वों को विस्तारपूर्वक समझाते हुए अभ्यास भी करवाया ।

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