Elderly Citizens Face Challenges in Urban Life Need for Better Facilities तन्हा महसूस कर रहे बुजुर्ग, डे केयर बोर्डिंग खुले तो बांट सकें सुख-दुख, Darbhanga Hindi News - Hindustan
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तन्हा महसूस कर रहे बुजुर्ग, डे केयर बोर्डिंग खुले तो बांट सकें सुख-दुख

शहर में बुजुर्गों का जीवन कई समस्याओं से भरा है। स्वास्थ्य सुविधाओं और पेंशन के लिए उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। पार्कों की कमी के कारण उन्हें मॉर्निंग वॉक में दिक्कत होती है। अकेलापन भी एक...

Newswrap हिन्दुस्तान, दरभंगाThu, 13 March 2025 11:50 PM
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तन्हा महसूस कर रहे बुजुर्ग, डे केयर बोर्डिंग खुले तो बांट सकें सुख-दुख

शहर में रह रहे बुजुर्गों का जीवन दुश्वारियों से भरा है। वरीय नागरिक का दर्जा मिलने के बावजूद बुजुर्ग सुविधाओं से वंचित हैं। उपचार के लिए अस्पताल और पेंशन के लिए बैंक में कतार लगानी पड़ती है। पार्क के अभाव में बुजुर्गों को मॉर्निंग वॉक में कठिनाई होती है। इस वजह से अधिकतर बुजुर्ग घरों में रहते हैं और एकाकीपन झेलने को विवश हैं। इसे लेकर वरीय नागरिकों में आक्रोश है। बुजुर्ग बताते हैं कि सरकार वरीय नागरिकों की सुविधाओं पर विचार नहीं करती। जो प्रावधान बुजुर्गों के लिए लागू है, वह भी जमीन पर मौजूद नहीं है। इसके कारण बुजुर्गों को भीड़ में धक्के खाने पड़ते हैं। वरीय नागरिक सुरेंद्र कुमार झा बताते हैं कि मिथिला के समाज में बुजुर्गों का सम्मान अभी बरकरार है। समझदार नौजवान बुजुर्गों के सानिध्य में ज्ञान-अनुभव का लाभ उठाने आते हैं। मान-सम्मान भी देते हैं, पर आधुनिक दौर की जरूरतों से नौजवान बुजुर्गों से दूर हो रहे हैं। रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे शहरों में बसना नौजवानों की मजबूरी है। इसके कारण बुजुर्ग दंपती अकेले पड़ जाते हैं। संयुक्त परिवार आधुनिक कल्चर में फिट नहीं बैठ रहा है। अब अधिकतर घरों में पति-पत्नी दोनों नौकरीपेशा हैं। यही वजह है कि एकल परिवार का चलन स्थापित हो रहा है। ऐसे हालात में बुजुर्गों के जीवन में चुनौतियां बढ़ गई हैं। दरभंगा जैसे छोटे शहर में वरीय नागरिकों के लिए बने प्रावधान भी पूर्णतया लागू नहीं हैं। मोहल्ले से लेकर बाजार और मुख्य सड़क तक अतिक्रमित है। फुटपाथ पर दुकानदार काबिज हैं। पार्क जैसी जगह का अभाव है। इस स्थिति में बुजुर्ग घर से बाहर सोच-समझकर ही निकलते हैं।

शहर के मोहल्लों में खुले बुजुर्ग क्लब: एकाकीपन से बुजुर्ग मानसिक तौर पर अस्वस्थ हो रहे हैं। दैनिक दिनचर्या पूर्ण करने के बाद इन्हें टीवी देखते हुए समय गुजारना पड़ता है। वरीय नागरिक विनोद कुमार झा बताते हैं कि आधुनिक दौर के हिसाब से शहर में बुजुर्गों के लिए सुविधाएं विस्तारित नहीं हो रही हैं। इससे बुजुर्गों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि 48 वार्डों के लंबे-चौड़े शहरी क्षेत्र में बुजुर्गों के लिए एक अदद पार्क तक मौजूद नहीं है। विश्वविद्यालय परिसर में बच्चे और युवा खेलते हैं तो लहेरियासराय पोलो ग्राउंड में यही हाल है। बच्चों-युवाओं के खेलकूद से चोटिल होने के डर से बुजुर्ग दोनों जगह जाने से परहेज करते हैं। उन्होंने बताया कि सभी वार्डों में बुजुर्गों के लिए जिला प्रशासन को क्लब बनाना चाहिए। इसके लायक सरकारी जमीन सभी वार्डों में मौजूद है। शहर में सैकड़ों पोखर भी हैं जिनके किनारों को मॉर्निंग वॉक के लिए विकसित किया जा सकता है। इससे वरीय नागरिकों की सहूलियत बढ़ेगी और उनका एकाकीपन भी दूर होगा।

पेंशन और स्वास्थ्य सुविधाओं की दिक्कत हो दूर: सरकारी सेवानिवृत्त कर्मियों एवं वृद्धापेंशन के लिए वरीय नागरिकों को परेशानी उठानी पड़ती हैं। इन्हें बार-बार सरकारी कार्यालयों व बैंकों का चक्कर काटना पड़ता है। वरीय नागरिक राधेश्याम महतो, सुबोध पासवान, रामश्रेष्ठ झा आदि बताते हैं कि बुजुर्गों के लिए बैंक, सरकारी कार्यालय और अस्पताल में अलग काउंटर बनाने का प्रावधान है, फिर भी ऐसी सुविधाओं पर अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं। इस वजह से बुजुर्गों को दिक्कतें होती हैं।

वरीय नागरिकों ने बताया कि इसके लिए जिले के अधिकारियों को पहल करनी चाहिए। ऐसा सिस्टम विकसित किया जाए कि बुजुर्गों का कार्य मिनटों में हो। बैंक, डाकघर, सरकारी कार्यालयों आदि जगहों पर बुजुर्गों के लिए अलग बंदोबस्त करने की आवश्यकता है। इसके अलावा एंबुलेंस और अस्पताल में उपचार की व्यवस्था ऐसी बने कि बुजुर्ग नागरिकों को भाग-दौड़ की आवश्यकता नहीं हो। वे आयुष्मान कार्ड को अनलिमिटेड राशि से युक्त करने की भी मांग कर रहे हैं। आयुष्मान कार्ड में राशि सीमित है जिससे गंभीर रोगों के उपचार में दिक्कत होती है। वे 65 साल पार वृद्धजनों के लिए राशि में वृद्धि की मांग कर रहे हैं।

समस्याएं

1. आयुष्मान कार्ड में राशि की सीमा होने के कारण इलाज कराने में पूरी तरह से मदद नहीं मिल पाती है।

2. बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के अलावा अन्य विभागों में अलग से काउंटर नहीं होने पर लंबी कतार में खड़ा होना पड़ता है।

3. अकेलापन दूर करने को डे केयर का प्रबंध नहीं है, साथ ही मानसिक रूप से फिट रहने के लिए कोई स्वास्थ्य जांच नहीं होती है।

4. सरकार ने रेल टिकट में मिलने वाली सुविधा कोविड काल में बंद कर दी। इससे तीर्थस्थानों या परिजनों से मिलने जाने में परेशानी होती है।

5. शहर में बुजुर्गों के लिए पार्क नहीं है। आम पार्क में जाने पर बच्चों के खेलकूद के दौरान चोट लगने की आशंका है।

सुझाव

1. वृद्धजनों की सुविधाओं का ध्यान रखने के लिए केंद्र व राज्य सरकार अलग मंत्रालय गठित करे।

2. अस्पतालों में इलाज से लेकर दवा लेने तक के लिए अलग से विशेष प्रबंध किए जाने चाहिए, ताकि लंबी लाइन से छुटकारा मिले।

3. सामाजिक सुरक्षा के तहत मिलने वाली पेंशन की राशि को दो हजार रुपये तक किया जाना चाहिए।

4. रेल टिकट में मिलने वाली छूट की सुविधा फिर से चालू की जाए। साथ ही राज्य परिवहन की बसों और हवाई सेवा में भी छूट मिले।

5. वृद्धाश्रम के अलावा सभी सुविधाओं से युक्त डे केयर बोर्डिंग का भी प्रबंध हो। इसमें पुस्तकालय, वाचनालय के अलावा मनोरंजन की व्यवस्था हो।

-बोले जिम्मेदार-

बुजुर्गों को रियायती दर पर रेल टिकट के लिए की जाएगी पहल

बुजुर्गों को रेल टिकट में मिलने वाली रियायत को फिर से चालू कराने की पहल की जाएगी। रेल मंत्री से मिलकर इसके लिए प्रयास करेंगे। डे केयर बोर्डिंग के लिए सरकार ने इस बार के बजट में प्रावधान किया है। वहीं विभिन्न विभागों के अलावा अस्पतालों में चिकित्सकीय परामर्श से लेकर दवा वितरण के अलग प्रबंध करने को लेकर राज्य सरकार से बात करेंगे। बुजुर्गों का एकाकीपन दूर करने के लिए समाज को प्रयास करना होगा। लोगों के बीच जागृति लाकर ही इस समस्या का समाधान हो पाएगा।

-डॉ. गोपाल जी ठाकुर, स्थानीय सांसद

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