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पीएटी परीक्षा में शामिल नहीं हो सका नाट्यशास्त्र

ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के आयोजित होने वाली पीएचडी नामांकन परीक्षा (पैट) में नाट्यशास्त्र को शामिल नहीं किये जाने से छात्र-छात्राओं में आक्रोश व्याप्त है। समान परिस्थिति में पिछले साल...

पीएटी परीक्षा में शामिल नहीं हो सका नाट्यशास्त्र
हिन्दुस्तान टीम,दरभंगाMon, 27 Aug 2018 05:11 PM
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ललित नारायण मिथिला विश्वविद्यालय के आयोजित होने वाली पीएचडी नामांकन परीक्षा (पैट) में नाट्यशास्त्र को शामिल नहीं किये जाने से छात्र-छात्राओं में आक्रोश व्याप्त है। समान परिस्थिति में पिछले साल परीक्षा हुई थी लेकिन इस बार शामिल नहीं किया गया।

क्या है मामला: यूजीसी से तैयार और कुलाधिपति से स्वीकृत परिनियम में प्रावधान है कि स्वीकृत पद पर विधिवत नियुक्त और दो वर्षों के शैक्षणिक अनुभव रखने वाले शिक्षक शोधकार्यों का निर्देशन कर सकते हैं। विश्वविद्यालय संगीत एवं नाट्य विभाग में नाट का एक पद स्वीकृत है लेकिन इस पद पर विगत कई वर्षों से शिक्षक की नियुक्ति नहीं हुई है। अतिथि शिक्षकों के सहारे कक्षाओं का संचालन होता है और परीक्षाएं होती हैं। इसी कारण विश्वविद्यालय प्रशासन का मानना है कि शिक्षकों के अभाव में निर्देशन नहीं हो सकता है। इसी कारण रिक्ति नहीं मानी गयी और नाट्यशास्त्र को पैट परीक्षा में शामिल नहीं किया गया।

पिछले साल समान परिस्थिति के बावजूद हुई थी परीक्षा: समान परिस्थिति में पिछले साल 10 सीट रिक्त दिखाकर परीक्षा आयोजित हुई थी। दों छात्रों को परीक्षा में उत्तीर्ण घोषित किया गया। एक छात्र के नौकरी में रहने के कारण विभाग से अवकाश नहीं मिलने के कारण कोर्स वर्क में उसका नामांकन नहीं हो सका। दूसरे छात्र ने कोर्स वर्क में नामांकन करा पढ़ाई पूरी की और अब आगे का काम कर रहा है।

क्या कहते हैं जानकार: संपर्क करने पर कई शिक्षकों का कहना है कि अब सीबीसीएस व्यवस्था.लागू होने से पढ़ाई बहुअनुशासनीय हो गयी है। शोधकार्य भी बहुअनुशासनीय काम है। नाट्यशास्त्र का कई विषयों से संबनध है। अभी भी हिन्दी के शिक्षक नाट्यशास्त्र पढ़ाते हैं तो ऐसे शिक्षकों को शोधनिर्देशक क्यों नहीं बनाया जा सकता है।

नाट्यशास्त्र का रहा है दुर्भाग्य : मिथिला विवि में सर्वप्रथम नाट्यशास्त्र की पढ़ाई 1984 में शुरू हुई। दो तीन सत्र चलने के बाद इसकी पढ़ाई बंद कर दी गयी।उस समय भी हिन्दी और मैथिली के शिक्षक नाट्यशास्त्र पढ़ाया करते थे और उन्हीं शिक्षकों के निर्देशन में छात्र पीएचडी भी करते थे।बाद में मिथिलांचल के कलाकारों ओर छात्रों के दबाव बनाने पर 2014 से नाट्यशास्त्र की पढ़ाई फिर शुरू की गयी। तब से सत्र नियमित चल रहा है और दर्जनों छात्र पास कर चुके हैं।

सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति में पीएचडी डिग्री से होता है लाभ

यहां के छात्रों को पीएचडी डिग्री नहीं रहने से सहायक प्रोफेसर पद पर नियुक्ति में दिक्कत होती है। ऐसे छात्र दूसरे विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने को विवश हो जाते हैं। इस बार भी एक छात्र का चयन पीएचडी नामांकन के लिए झारखंड के केन्द्रीय विश्वविद्यालय में हुआ है।इसी बात को लेकर छात्रों में आक्रोश है कि विवि प्रशासन उनके हित की अनदेखी कर रहा है।

छात्रों ने सौंपा था ज्ञापन

नाट्यशास्त्र के छात्रों ने हाल ही में विभागाध्यक्ष और कुलपति को ज्ञापन सौपकर नाट्यशास्त्र को पैट परीक्षा में शामिल करने की मांग की थी लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने परिनियम का हवाला देकर मामले की अनुसुनी कर दी।

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