घनश्यामपुर में बाढ़ से बेघर हुए दर्जनों परिवार
सितंबर में कमला बलान नदी में आयी उफान से घनश्यामपुर के दर्जनों परिवार बेघर होने को मजबूर हैं। घरों में पानी घुसने से इन्हें दोनों तटबंधों तथा ऊंचे स्थानों पर शरत लेनी पड़ी...
सितंबर में कमला बलान नदी में आयी उफान से घनश्यामपुर के दर्जनों परिवार बेघर होने को मजबूर हैं। घरों में पानी घुसने से इन्हें दोनों तटबंधों तथा ऊंचे स्थानों पर शरत लेनी पड़ी है। नदी का जलस्तर लगातार चौथे दिन शुक्रवार को लाल निशान से लगभग 1.76 मीटर ऊपर है। दोनों तटबंध के बीच बसे डूब क्षेत्र के दस गांव के लोगों को बार बार बाढ़ की मार झेलनी पड़ रही है।
बाऊर, नवटोलिया, कनकी मुसहरी, बैजनाथपुर, भरसाहा, कैथाही, गिदराही, लगमा मुसहरी आदि गांवों की सभी सड़कें डूबी हुई हैं जिससे आवागमन ठप है। बाढ़ प्रभावित गांवों का प्रखंड मुख्यालय से सड़क संपर्क भंग हो गया है। बाऊर-घनश्यामपुर प्रधानमंत्री ग्राम्य सड़क पर लगभग पांच फीट पानी बह रहा है। बार-बार बाढ़ आने से ग्रामीण सड़कों को भारी क्षति पहुंची है। मध्य विद्यालय बाऊर कन्या समेत आधे दर्जन स्कूलों में पानी भरा है। लगातार जलस्तर में हो रही वृद्धि तथा भारी वर्षा से तटबंध के कमजोर बिंदुओं पर पानी का दबाव बना हुआ है। बांध की सुरक्षा के मद्देनजर निगरानी बढ़ा दी गयी है। जलसंसाधन विभाग के अधिकारी तटबंध पर कैंप कर रहे हैं । तटबंध में रेनकट तथा दबाव के बिंदुओं की मरम्मत की जा रही है। बाढ़ के कारण लगभग 500 विस्थापित परिवार ऊंचे स्थानों पर शरण लिए हुए हैं।
इस संबंध में सीओ दीनानाथ कुमार ने बताया कि बाढ़ पीड़ित गांव तथा तटबंध छोड़कर कैंप में आने को तैयार नहीं हैं। कनकी मुसहरी के अधिकांश परिवार ने तटबंध पर ही झोपड़ी बना ली है। डूब क्षेत्र में बसे होने के कारण नदी के जलस्तर में वृद्धि होने से यहां बाढ़ आ जाती है। अबतक बाढ़ पीडि़तों के बीच 650 पालीथीन का वितरण किया गया है।लगभग 2100 परिवार के खाते में बाढ़ सहाय्य की 6 हजार रुपये की राशि भेज दी गयी है। पेयजल के लिए चार चापाकल लगाये गये हैं। 21 सरकारी तथा निजी नाव चलाया जा रहा है। जबकि जल संसाधन विभाग के जेई अश्विनी कुमार ठाकुर ने तटबंध को पूरी तरह सुरक्षित बताया है।