हड़ताल के पहले दिन ही मरीजों पर बरपा कहर
दरभंगा में डीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। ओपीडी बंद होने के कारण मरीजों को इलाज नहीं मिल सका। सुरक्षा कर्मियों ने मरीजों को ओपीडी में प्रवेश से...
दरभंगा। डीएमसीएच में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल के कारण शुक्रवार को इलाज के लिए दूर-दूर से आए मरीजों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा। अस्पताल पहुंचने के बाद ओपीडी में ताला लटका देख उन लोगों के बीच अफरातफरी मच गई। इलाज शुरू होने के इंतजार में सैकड़ों मरीज परिसर में जमे रहे। हालांकि घंटों इंतजार के बाद वे वहां से लौटने लगे। मरीजों को ओपीडी में प्रवेश करने से रोकने के लिए करीब एक दर्जन सुरक्षा कर्मी हाथों में डंडे लेकर मुख्य प्रवेश द्वार के सामने तैनात रहे। दृश्य ऐसा था जैसे विरोधी देना को आगे बढ़ने से रोकने के लिए उन्होंने वहां किलाबंदी कर रखी हो। बेचारे मरीज इतनी संख्या में सुरक्षा कर्मियों को देख किसी कोने में दुबक जा रहे थे। इमरजेंसी में सीनियर डॉक्टरों ने इलाज की कमान संभाली। हालांकि जूनियर डॉक्टरों के नहीं रहने से वहां इलाज में काफी परेशानी आई।
कुशेश्वरस्थान के वृद्ध बेचन राम ने बताया कि उनकी पत्नी तेज बुखार से तप रही हैं। डीएमसीएच आने के लिए अलसुबह घर से रवाना हुए। पोटली में खाना रखकर आए थे। यह सोचकर कि जांच-पड़ताल में समय लगेगा तो भूख मिटा सकेंगे। उन्होंने बताया कि ओपीडी के सामने तैनात सुरक्षा कर्मी ने उन्हें वापस जाने को कहा। पता चला कि डॉक्टर हड़ताल पर चले गए हैं। उन्होंने रुआंसे होते हुए कहा कि अब वे पत्नी का इलाज कैसे करा सकेंगे।
गौड़ाबौराम के महेंद्र सदा ने बताया कि उनकी बेटी करीब एक सप्ताह से बीमार चल रही है। पिछले सप्ताह भी हड़ताल के कारण उसका इलाज नहीं हो सका था। उसका बदन पीला पड़ने लगा है। आज भी उसका इलाज नहीं हो सका। बहरहाल जूनियर डॉक्टर की हड़ताल गरीब और लाचार मरीजों पर कहर बरपा रही है। एक ओर अपनी सुरक्षा को लेकर चिंतित डॉक्टर हड़ताल पर हैं तो मरीजों के सामने जीने- मरने का सवाल खड़ा हो गया है। डीएमसीएच पहुंचने वाले अधिकतर मरीज वहां की सुविधाओं पर निर्भर रहते हैं। निजी अस्पताल में इलाज उनकी पहुंच से बाहर होता है। जल्द हड़ताल समाप्त नहीं होती है तो मरीजों की परेशानी और भी ज्यादा बढ़ जाएगी।
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