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निबंधन कम होने से कातिबों में छायी मायूसी

जमीन रजिस्ट्री के नियमों में बदलाव का निबंधन पर व्यापक असर पड़ा है। निबंधन कार्यालय परिसर में लोगों की आवाजाही काफी कम हो गयी है। मंगलवार को मात्र छह रजिस्ट्री हुई। ग्राहकों के कम पहुंचने से कातिब...

निबंधन कम होने से कातिबों में छायी मायूसी
हिन्दुस्तान टीम,दरभंगाTue, 15 Oct 2019 11:50 PM
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जमीन रजिस्ट्री के नियमों में बदलाव का निबंधन पर व्यापक असर पड़ा है। निबंधन कार्यालय परिसर में लोगों की आवाजाही काफी कम हो गयी है। मंगलवार को मात्र छह रजिस्ट्री हुई। ग्राहकों के कम पहुंचने से कातिब मायूस हैं। वहीं, निबंधन कार्यालय के आसपास के होटलों में कारोबार मंदा होने के कारण भी मायूसी का माहौल है। नयी नियमावली लागू होने से पूर्व निबंधन कार्यालय परिसर में सामान्य दिनों में भी काफी भीड़ रहती थी। नयी नियमावली लागू होने के बाद जमीन की खरीद-बिक्री करना काफी कठिन हो गया है। जमीन विक्रेता के नाम जब तक जमाबंदी व दाखिल-खारिज नहीं होगी तब तक जमीन की बिक्री नहीं कर सकते। परिणास्वरूप अब वैसे गरीब-गुरबे जो अपनी बेटी की शादी इस उम्मीद पर तय कर चुके थे कि शादी से पूर्व जमीन बेचकर नगद प्राप्त कर शादी का खर्चा निकाल लेंगे, वो सरकार के नये कानून से स्तब्ध हैं। केएस कॉलेज के एक सेवानिवृत्त प्रोफेसर मंगलवार को निबंधन कार्यालय में जमीन की रजिस्ट्री इसलिए नहीं कर सके क्योंकि जमीन के विक्रेता के नाम जमाबंदी नहीं थी। जबकि विक्रेता अपनी पुश्तैनी जमीन बेचने को लेकर पूर्व में उनके साथ एग्रीमेंट कर एडवांस पर कुछ राशि भी प्राप्त कर चुका था। कातिब उपेंद्र यादव ने कहा कि उनके 40 वर्ष के इस व्यवसाय में ऐसी स्थिति पहली बार हुई है। आमदनी ठप है। लाचार-मजबूर इंसान वाजिब हक होने के वाबजूद सरकार की गलत नीतियों के कारण जमीन नहीं बेच पा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार को बिना पूर्व सूचना के ऐसा कानून लागू नहीं करना चाहिये था। कातिब संघ के अध्यक्ष सज्जाद हुसैन ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की नोटबन्दी और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमाबंदी दोनों बराबर है। कातिब महेश कुमार चौधरी व चंद्रशेखर यादव कहते हैं कि सरकार के नये कानून के कारण बोहनी किये बिना घर खाली हाथ लौटना विवशता बन गयी है। उधर, निबंधन कार्यालय परिसर में गत 21 सितंबर को बड़े ही तामझाम से खोले गए कैंटीन की स्थिति काफी दयनीय हो गयी है। कैंटीन संचालिका जीविका समूह सदस्य पूनम देवी ने कहा कि शुरुआती दौर में एक हफ्ते तक अच्छी आय होती रही। लेकिन जबसे नया कानून बना है, स्थिति काफी लचर गयी है। खाद्य पदार्थों के खराब होने से आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है। निबंधन कार्यालय के समीप स्थित एक होटल के संचालक मुकेश सिंह ने कहा कि जमीन रजिस्ट्री के नये कानून के कारण लहेरियासराय के अधिकांश व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हैं। पहले उनके होटल में कारीगरों को फुर्सत तक नहीं मिलती थी। पिछले कई दिनों से इक्का-दुक्का ग्राहक ही जमीन रजिस्ट्री के उपरांत होटल पहुंच रहे हैं। कमतौल: राज्य सरकार के नये नियमों के तहत जमीन की रजिस्ट्री शुरू होते ही उसपर बिलकुल ब्रेक लग गया है। रजिस्ट्री न के बराबर हो रही है। कमतौल रजिस्ट्री ऑफिस में पहले प्रत्येक दिन 15 से 20 रजिस्ट्री हुआ करती थी। लेकिन अब किसी-किसी दिन एक भी नहीं होती, तो कभी एक हो जाती है।

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