पार्सल में ब्लास्ट: सेफ रूट की तलाश में किया गया मॉक ड्रिल
दरभंगा | दरभंगा जंक्शन पर 17 जून को सिकंदराबाद से भेजे गए कपड़ों के पार्सल
दरभंगा | दरभंगा जंक्शन पर 17 जून को सिकंदराबाद से भेजे गए कपड़ों के पार्सल ब्लास्ट के राज से अभी तक पर्दा नहीं उठ सका है। मामले के पीछे की साजिश को बेनकाब करने के लिए जांच चल रही है। हालांकि कई अनसुलझे सवाल हैं जिनका जवाब साजिशकर्ताओं की गिरफ्तारी के बाद ही मिलेगा। ब्लास्ट के लिए इस्तेमाल किया गया केमिकल काफी विस्फोटक था। इसे लेकर कई सवाल हैं। क्या केमिकल को दरभंगा होकर उत्तर प्रदेश पहुंचाना था, इस दिशा में जांच चल रही है। जांच एजेंसियों की सतर्कता को लेकर क्या साजिशकर्ता देश के अन्य हिस्सों में विस्फोटक पहुंचाने के लिए सेफ रूट की तलाश में थे? क्या उन लोगों ने यह जानने के लिए छोटी सी शीशे में विस्फोटक केमिकल भर मॉक ड्रिल तो नही किया था? ये सभी अनसुलझे सवाल हैं जिन्हें ढूंढने में पुलिस व जांच एजेंसियां लगी हुई हैं। सिकंदराबाद के अलावा दरभंगा जंक्शन के सीसीटीवी फुटेज भी साजिशकर्ताओं को बेनकाब करने में कारगर साबित हो सकते है। हालांकि अभी पूरा एक्शन सिकंदराबाद तक सीमित है। ब्लास्ट से पहले अगर दरभंगा जंक्शन पर पार्सल के अगल-बगल अगर कोई संदिग्ध मंडराता दिखा तो उसकी पहचान करना भी पुलिस के सामने कड़ी चुनौती है। ब्लास्ट के तार भले यूपी के शामली से जुड़ रहे हैं, हालांकि मिथिलांचल के ओल्ड आतंकी मॉड्यूल को देखते हुए ब्लास्ट के तैर दरभंगा से जुड़ने से इनकार नहीं किया जा सकता है। कई वर्ष पूर्व एनआईए ने दरभंगा एवं मधुबनी से आधा दर्जन से अधिक आतंकियों को दबोचा था। इंडियन मुजाहिद्दीन के सरगना यासीन भटकल ने भी एनआईए की गिरफ्त से बचने के लिए दरभंगा के ठिकानों में पनाह ली थी। दाऊद के गुर्गे फजलुर्रहमान कभी दरभंगा जिला ठिकाना रहा था। हालांकि लंबे अरसे से जिले में आतंकियों की गतिविधियां बंद हैं।