जाले बाजार से गुजरना हुआ दुश्वार
आजादी के 72 वर्षों में भी जाले बाजार की सूरत नहीं बदली है। जाले बाजार की मुख्य सड़क पर जलजमाव की समस्या से लोग परेशान हैं। जाले के शंकर चौक का दिल्ली के चांदनी चौक जैसा महत्त्व...
आजादी के 72 वर्षों में भी जाले बाजार की सूरत नहीं बदली है। जाले बाजार की मुख्य सड़क पर जलजमाव की समस्या से लोग परेशान हैं। जाले के शंकर चौक का दिल्ली के चांदनी चौक जैसा महत्व है।
जाले पश्चिमी, जाले दक्षिणी और जाले उत्तरी पंचायत की सीमा जाले शंकर चौक से छूती। जाले शंकर चौक से ही सीतामढ़ी, मधुबनी और नेपाल के साथ साथ स्थानीय थाना, प्रखंड मुख्यालय, रेफरल अस्पताल कृषि विज्ञान केंद्र आदि सरकारी कार्यालय सहित योगियारा रेलवे स्टेशन का रास्ता निकलता है। यह कहने में अतिशयोक्ति नहीं होगी कि इलाके के लोग जाले शंकर चौक से ही अपनी यात्रा की शुरुआत करते हैं। बावजूद इसके जाले शंकर चौक पहुंचने वाली और वहां से निकलने वाली तमाम सड़कें कई दशकों से बदहाल की स्थिति में है। आप नाक पर रूमाल डाले बिना जाले शंकर चौक से नहीं गुजर सकते। आजादी के 72 सालों में जाले को कोई ऐसा रहनुमा नहीं मिला जो इस दुर्दशा का सदा के लिए अंत करवा सके।
जाले शंकर चौक से लगभग पांच सौ मीटर दक्षिण स्थित गणेश चौक की हालात भी कुछ ऐसी ही है। वहां प्रत्येक मौसम में जलजमाव रहता है। बरसात के मौसम में जाले शंकर चौक से जाले गांधी चौक और थाने की ओर जाने वाली सड़क की स्थिति बेहद खराब रहती है। सड़क पर जगह-जगह जल जमाव और सड़ांध की स्थिति रहती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जाले गांधी चौक से जाले शंकर चौक होते हुए ही अतरबेल-जाले-घोघराहा एसएच निकलती है। सरकार आरसीडी सड़क को लेकर दावे भी करती, लेकिन एसएच के इस भाग की हकीकत सरकार के दावे का पोल खोलने के लिए पर्याप्त है। यदि आरसीडी एसएच के मानक के अनुरूप जाले गांधी चौक से जाले शंकर चौक होते हुए जाले साथी चौक तक की सड़क का निर्माण करवा दे तो जाले बाजार से गुजरने वाली सड़क की सूरत बदल जा सकती है। जाले की इस बदसूरती को बदलने के लिए स्थानीय लोग वोट के माध्यम से अक्सर बदलाव करते रहे, लेकिन जाले के किस्मत की यह खोट आजतक नहीं मिट सकी है। आरसीडी के कार्यपालक अभियंता पवन कुमार सिंह कहते हैं कि जाले में नाला निर्माण का टेंडर हो चुका है। विभाग जाले बाजार से गुजरने वाली सड़क की सूरत बदलने के लिए प्रयासरत है।