आमस-दरभंगा एक्सप्रेसवे समेत बिहार के 14 हाइवे प्रोजेक्ट की बाधाएं दूर होंगी, केंद्र ने दिखाई तेजी
बिहार में नेशनल हाइवे के अटके हुए 14 प्रोजेक्ट जल्द ही पूरे किए जाएंगे। केंद्र सरकार ने इन परियोजनाओं को लेकर आ रही बाधा दूर करने को कहा है। जनवरी 2025 से हाइवे के काम में तेजी आएगी।
बिहार में हजारों करोड़ की राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) की परियोजनाएं समय से देर हो चुकी हैं। इनका निर्माण तो चालू है, पर कई जगहों पर छोटी-मोटी समस्याओं के कारण इसका काम बाधित है। अब केंद्र ने बिहार को ऐसी एक दर्जन परियोजनाओं को चिह्नित कर उसमें तेजी लाने को कहा है। इसमें आमस-दरभंगा एक्सप्रेसवे समेत नेशनल हाइवे के 14 प्रोजेक्ट शामिल हैं। बिहार में जिन परियोजनाओं का काम बाधित है, वह या तो जमीन अधिग्रहण की समस्या के कारण है या वन विभाग की मंजूरी नहीं मिलने से उन परियोजनाओं पर काम शुरू नहीं हो पा रहा है।
बता दें कि हिन्दुस्तान ने बिहार में एनएच कम होने का मुद्दा उठाया था। इस संबंध में खबरों की शृंखला प्रकाशित की थी। इसके बाद केंद्र ने यह पहल की है। अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार कई कई ऐसी परियोजनाएं हैं जिसकी निविदा तो हो चुकी है, लेकिन उस पर काम शुरू नहीं हो पा रहा है। ऐसी परियोजनाओं को केंद्र सरकार ने अविलंब शुरू कराने को कहा है। राज्य सरकार ने केंद्र को भरोसा दिया है कि वह जनवरी में इन परियोजनाओं की समस्याओं का निबटारा कर लेगी।
किस हाइवे पर कौन-सी समस्या
केंद्र सरकार ने जिन सड़क परियोजनाओं को पूरा करने को कहा है उसमें मुंगेर-मिर्जाचौकी में मुंगेर में जमीन अधिग्रहण का मामला फंसा है। कल्याणपुर-ताल दशहरा में समस्तीपुर में जमीन अधिग्रहण की समस्या है। आमस-दरभंगा एक्सप्रेसवे पर पटना, गया और जहानाबाद में जमीन नहीं मिल रही। उमगांव-सहरसा में सुपौल और सहरसा में वन विभाग की जमीन की मंजूरी नहीं मिली है।
वहीं, शेरपुर-दिघवारा में सारण में जमीन अधिग्रहण की समस्या है। बहादुरगंज-अररिया, मुजफ्फरपुर-सोनबरसा, रिविलगंज बाईपास, जंदाहा बाईपास, भभुआ बाईपास, अमदाबाद-मनिहारी, रामनगर-रोसड़ा, कटोरिया, बांका और पंजवारा बाईपास का काम भी जमीन अधिग्रहण और वन विभाग की आपत्ति के कारण काम बाधित है।
बिहार के मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा ने कहा कि केंद्र प्रायोजित योजनाओं की समीक्षा उनके स्तर पर महीने दो दिन हो रही है। इसमें राज्य सरकार के संबंधित विभाग, जिलाधिकारी एवं केंद्र सरकार के संबंधित विभागों के अधिकारी होते हैं। इसका लाभ हुआ है। केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के बीच बेहतर समन्वय कायम है जिसका लाभ परियोजनाओं को हो रहा है।