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जमीन के कागज फर्जी मिले तो क्रिमिनल केस चलेगा, भू-माफिया पर लगाम कस रही नीतीश सरकार

जमीन के कागज फर्जी मिले तो क्रिमिनल केस चलेगा, भू-माफिया पर लगाम कस रही नीतीश सरकार

संक्षेप: बिहार में अब जमीन के कागजात फर्जी पाए जाते हैं तो क्रिमिनल केस चलाया जाएगा। ऐसा करने वाले लोगों के खिलाफ आपराधिक मामले की तरह कानूनी कार्रवाई की जाएगी। भू-माफिया पर लगाम लगाने की दिशा में नीतीश सरकार ने यह कदम उठाया है।

Thu, 28 Aug 2025 06:45 PMJayesh Jetawat हिन्दुस्तान ब्यूरो, पटना
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बिहार की नीतीश सरकार भू-माफिया पर लगाम कसने जा रही है। जमीन के अवैध कब्जा मामले में फर्जी दस्तावेज पाए जाने पर कार्रवाई होगी। इसके तहत ऐसे केस में संदेह होने पर या मामला पुलिस के संज्ञान में आने पर दस्तावेजों की गहन जांच-पड़ताल की जाएगी। जमीन के कागजात फर्जी पाए जाने पर अन्य आपराधिक मामलों की तरह ही इसे भी क्रिमिनल केस माना जाएगा। खासकर फर्जी दस्तावेजों और बलपूर्वक दूसरों का कब्जा हटाकर प्रवेश करने के अपराध में भारतीय न्याय संहिता एवं भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। सरकार का मानना है कि इससे भू-माफिया पर लगाम लगाना संभव हो सकेगा।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव दीपक कुमार सिंह ने सभी प्रमंडलीय आयुक्त, आईजी, डीआईजी, समाहर्ता, एसएसपी और एसपी को पत्र लिखा है। अधिकारियों के अनुसार विभाग लगातार जमीन संबंधी दस्तावेजों को अपडेट कराने और इसे आसानी से उपलब्ध कराने के प्रयास में जुटा है। इसका मकसद जमीन विवादों को दूर करना है।

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इसी दिशा में जमीन विवादों का समाधान करने के लिए अंचलाधिकारी और थाना प्रभारियों की प्रत्येक सप्ताह के शनिवार को अंचल कार्यालयों में बैठक निर्धारित की गई है। ऐसे में जमीन विवाद के एक कारण के रूप में जमीन माफिया द्वारा जबरन कब्जा करने का मामला भी विभाग के संज्ञान में आया था।

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विभाग ने कहा है कि भूमि विवाद के मामलों में संगठित अपराध के रूप में कुछ भू-माफिया तत्व भी विभिन्न जिले में सक्रिय हैं। इसकी जानकारी औपचारिक व अनौपचारिक रूप से जिला एवं पुलिस प्रशासन को प्राप्त होती रहती है। अक्सर यह पाया जाता है कि फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अवैध रूप से भूमि पर कब्जा का प्रयास अथवा कब्जा दबंग तत्वों द्वारा कर लिया जाता है। इस मामले में राजस्व पदाधिकारियों द्वारा निर्णय नहीं लिया जा सके, इसके लिए सिविल न्यायालय में स्वत्व वाद (टाइटल सूट) दायर कर दिया जाता है।

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इस प्रकार के मामले में यह पाया गया है कि शनिवारीय बैठक में भी स्वत्व वाद दायर होने के कारण कोई ठोस निर्णय नहीं लिया जाता है। ऐसे मामले में पुलिस की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिन मामलों में भी दस्तावेजों के फर्जी होने का प्रथमदृष्टया संदेह हो, उनमें गहन जांच-पड़ताल कर नियमानुसार कार्रवाई की जानी चाहिए।

Jayesh Jetawat

लेखक के बारे में

Jayesh Jetawat
राजनीतिक, सामाजिक, इंफ्रास्ट्रक्चर, पर्यटन और अपराध जैसे विषयों पर लिखना पसंद है। मेवाड़ क्षेत्र (राजस्थान) के रहने वाले हैं, अभी बिहार कवर कर रहे हैं। लाइव हिन्दुस्तान से पहले ईटीवी भारत, इंडिया न्यूज, वे-2-न्यूज, टाइम्स ऑफ इंडिया जैसे संस्थानों में काम कर चुके हैं। समाचार के अलावा साहित्य पठन-लेखन में भी रुचि है। और पढ़ें
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