
NDA में चिराग और मांझी, महागठबंधन में माले-सहनी लटका रहे सीट बंटवारा? सीटों की डिमांड बनी रोड़ा
संक्षेप: बिहार चुनाव की तारीखों के ऐलान के दो दिन बाद भी अभी तक एनडीए और महागठबंधन में सीट बंटवारा फाइनल नहीं हो सका है। एनडीए में चिराग पासवान और जीतनराम मांझी सीटों पर अड़े हैं। तो वहीं महागठबंधन में सीपीआई-माले और मुकेश सहनी सीटों की मांगों पर अडिग है।
बिहार चुनाव की घोषणा के बावजूद दो प्रमुख गठबंधनों में सीटों के बंटवारे पर रार-तकरार जारी है। एनडीए के दो प्रमुख सहयोगी दल लोजपा (आर) और हम अपनी नाराजगी सार्वजनिक करने लगे हैं। दोनों दलों को गठबंधन की ओर से जितनी सीटें मिल रही हैं, इससे वे संतुष्ट नहीं हैं। लोजपा आर के प्रुमख चिराग पासवान और हम के संरक्षक जीतन राम मांझी ने बुधवार को कविता के माध्यम से अपनी-अपनी नाराजगी जाहिर की। चिराग अपनी पार्टी के लिए 40 सीटों की मांग पर अड़े हैं।

अपने पिता रामविलास पासवान की पुण्यतिथि के मौके पर सोशल मीडिया एक्स पर उन्हें याद करते हुए लिखा कि पापा हमेशा कहा करते थे कि जुर्म करो मत, जुर्म सहो मत। जीना है तो मरना सीखो, कदम-कदम पर लड़ना सीखो। गौर हो कि पिछले विधानसभा चुनाव में चिराग ने अंतिम समय में खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘हनुमान’ बताकर अलग चुनाव लड़ने का फैसला लिया था। इसलिए इस बार भी सभी की निगाहें उनपर टिकी हैं।
वहीं, हम सुप्रीमो जीतन राम मांझी ने दिल्ली में बुधवार को कहा कि 15 से कम सीटें मिलीं तो भी एनडीए में रहेंगे पर चुनाव नहीं लड़ेंगे। इतना ही नहीं, सोशल मीडिया एक्स पर उन्होंने लिखा कि हो न्याय अगर तो आधा दो, यदि उसमें भी कोई बाधा हो, तो दे दो केवल 15 ग्राम, रखो अपनी धरती तमाम, हम (एचएएम) वहीं खुशी से खायेंगें, परिजन पे असी ना उठायेंगे।
उन्होंने कहा कि अगर 15 सीट नहीं मिलती है तो हम फिर निबंधित पार्टी ही रह जाएंगे। ऐसे में चुनाव लड़ने का क्या फायदा? हम नरेंद्र मोदी जी के चहेते, उनके चेले हैं। जो नरेंद्र मोदी कहेंगे, एनडीए का इशारा होगा, उसके लिए रात दिन एड़ी चोट एक कर काम करेंगे। वहीं, रालोमो प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने अब तक पत्ते नहीं खोले हैं।
उधर, जदयू ने दांव खेला है कि भाजपा पहले सहयोगी दलों से निपट ले, फिर आपस में सीटों का बंटवारा करेंगे। इस तरह एनडीए में रार बरकरार है। हालांकि, मुख्यमंत्री आवास पर जदयू नेताओं की बुधवार की शाम हुई बैठक में सीटों पर मंथन हुआ। भाजपा प्रदेश कार्यालय में भी चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान और प्रदेश प्रभारी विनोद तांवड़े की मौजूदगी में सीटों और पार्टी प्रत्याशियों पर चर्चा हुई। जदयू-भाजपा की बैठक में सहयोगी दलों की मांग पर भी विचार किया गया।
दूसरी ओर, महागठबंधन में भी अभी तक सीटों के बंटवारे का कोई फॉर्मूला सामने नहीं आया है और न ही सहमति बनी है। बैठकों का दौर लगातार जारी है। वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी और वामदलों की दावेदारी से सीट बंटवारे में पेच फंसा है। वामदलों को पिछले चुनाव के मुकाबले पांच सीटें अधिक देने की बात चल रही है। लेकिन, ये दल इस पर सहमत नहीं हैं।
भाकपा माले 40, माकपा 11 और भाकपा 24 सीटों की मांग कर रही है। तीनों वाम दलों ने अपनी-अपनी सूची समन्वय समिति संयोजक तेजस्वी यादव को सौंप दी है। झामुमो और पारस की रालोजपा को भी इस बार समायोजित करना है। मुकेश सहनी 60 सीटों की दावेदारी कर रहे हैं। साथ ही उनकी कई अन्य शर्तें भी हैं। उपमुख्यमंत्री पद की मांग तो सार्वजनिक रूप से लगातार कर रहे हैं।
दूसरी ओर राजद और कांग्रेस में भी सीट बंटवारे पर अभी तक कोई सहमति नहीं बनाई है। कांग्रेस केंद्रीय चुनाव समिति की बुधवार को भी दिल्ली में बैठक हुई। कांग्रेस 56 से 60 सीटों की अपेक्षा कर रही है। इसी आधार पर प्रत्याशियों के नाम भी तय कर रही है। इसके अलावा कांग्रेस मुख्यमंत्री चेहरा की घोषणा पर अब तक मौन है। सूत्रों के अनुसार, तेजस्वी ने सहयोगी दलों से सीटों के बंटवारे का एक फॉर्मूला साझा किया है। इसमें 2020 विधानसभा और 2024 लोकसभा चुनाव को आधार बनाया गया है। लेकिन, कुछ सीटों पर कई दलों के दावे के चलते घोषणा अटकी है।
2020 के चुनाव में दलों का प्रदर्शन और इस चुनाव के लिए दावा
एनडीए (NDA)
दल लड़े जीते इस बार का दावा
भाजपा 110 74 102-105
जदयू 115 43 110
हम 07 04 15
रालोसपा/रालोमो 107 00 20
लोजपा 135 01 40
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इंडिया अलायंस (महागठबंधन)
दल लड़े जीते इस बार का दावा
राजद 144 75 140
कांग्रेस 70 19 60
सीपीआईएमएल 19 12 40
वीआईपी 13 04 60
सीपीआई 06 02 24
सीपीआईएम 04 02 11





