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मदर्स डे: सागर से भी गहरी और हिमालय से भी विराट है मां की ममता

कहते हैं कि जिंदगी आपके हौसलों को आजमाती है। आखिरी लम्हों तक राहों से भटकाती है लेकिन जिनके पास मां का भरोसा और आशीर्वाद का संबल होता है तो हर बार वह उठ खड़ा होता है। यह कहना है वर्ष 2010 बैच के आईएएस...

मदर्स डे: सागर से भी गहरी और हिमालय से भी विराट है मां की ममता
छपरा। नगर प्रतिनिधि Sun, 10 May 2020 08:17 PM
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कहते हैं कि जिंदगी आपके हौसलों को आजमाती है। आखिरी लम्हों तक राहों से भटकाती है लेकिन जिनके पास मां का भरोसा और आशीर्वाद का संबल होता है तो हर बार वह उठ खड़ा होता है। यह कहना है वर्ष 2010 बैच के आईएएस राजकुमार का। फिलहाल वे समाज कल्याण विभाग में निदेशक के पद पर हैं। मदर्स डे की पूर्व संध्या पर ‘हिन्दुस्तान’ से बातचीत के दौरान रिविलगंज बाजार के रहने वाले रंजीत प्रसाद व उमा देवी के पुत्र राजकुमार भावुक हो गए। वे बोले -  मेरी प्यारी मां, नाम अनेक, अहसास एक। मां के प्रति अहसास को किसी दायरे में नहीं बांधा जा सकता। उन्होंने गुनगुनाते हुए कहा- मां तेरे बिना मैं  कुछ भी नहीं। राजकुमार अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए बोले कि ‘आसमान में कितने तारे पर चांद जैसा कोई नहीं। इस धरती पर कितने चेहरे, पर मां जैसा कोई नही। अपनी मां के बारे में कहा- जब सबने निराश किया, उन्होंने उठने का साहस मां ने ही दिया है। 

मां की प्रेरणा से शिक्षक से बने आईएएस

मां की प्रेरणा से ही एक शिक्षक से आईएएस बनने तक का राज कुमार का सपना साकार हुआ। उन्होंने कहा- जब हम छोटे थे तब मां हमेशा कहा करती थी कि बेटा तुम्हें कलेक्टर बनना है। इसके लिए उसने तमाम परेशानियां सहीं पर हमें भनक तक नहीं लगने दी। हमारी हर जरूरतों को बिना हिचकिचाये पूरी करती रही। जब भी हम घबराते थे, मां का हाथ हमेशा सिर पर संबल देने को महसूस किया। 

फाइनल रिजल्ट नहीं होने पर थे विचलित

एक बार आईएएस के फाइनल रिजल्ट में मेरा चयन नहीं होने पर जब मैं काफी नर्वस था तो मां मेरे सिर पर हाथ रखते हुए बोली- बेटा धैर्य रखो, एक ना एक दिन तुम जरूर कलेक्टर बनोगे। मां की इस बात को मैंने गांठ बांध ली और अपनी तैयारी  को गति दी। इसका परिणाम भी सुखद रहा। वर्ष 2010 में मेरा देश की सर्वोच्च परीक्षा में सेलेक्शन हो गया। आईएएस में सलेक्शन होने के बाद जब मैंने मां को अपना रिजल्ट बताया तो उसकी आंखों में आंसू आ गए। यह आंसू खुशी के साथ साथ उस प्रेरणा के भी थे जिसकी बदौलत मैंने देश की प्रतिष्ठित परीक्षा में सफलता हासिल की थी । मां से ही अपनी बात मैं आसानी से रख पाता हूं। उन्होंने यह भी कहा कि आईएएस बनने के बाद शिवहर में जब कलेक्टर के पद पर पहली बार बनी हुई तो मां ने कहा कि बेटा तुमने मेरा सपना साकार कर दिया। मेरा सिर ऊंचा कर दिया । अब मैं गर्व के साथ कह सकती हूं कि मैं कलक्टर की मां हूं। 

जरूरतमंदों की मदद की दी नसीहत

जिलाधीश के पद पर तैनाती होने पर मां ने बधाई के साथ नसीहत भी दी-  हमेशा समाज के निचले तबके के लोगों के दुख दर्द मैं हाथ ब्ांटाना । पद का घमंड कभी नहीं करना। मां की इस बात को मैं हमेशा याद रखकर हर जरूरतमंद लोगों को हर संभव सहायता प्रदान करने का प्रयास भी करता हूं । उन्होंने यह भी कहा कि मां की प्रेरणा से ही रिविलगंज बाजार में एक पुस्तकालय भी खोला हूं जिसमें प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी करने वाले छात्रों को पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती है। मां के नजदीक जाने का कारण के बारे में कहा कि पापा की व्यस्तता ने मां को हमारे प्रति अधिक जिम्मेवार बना दिया। सारा जीवन दूसरों के लिए जीने वाली मेरी मां पर मुझे गर्व है और शिकायत है कि काश वह अपने लिए भी जीती। मां के बारे में उन्होंने यह भी कहा कि सुबह जल्दी उठा कर खाने-पीने का इंतजाम करना तो उनकी दिनचर्या का हिस्सा था।

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