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सब की मंगल कामना करने के कारण ही हनुमान जी बने थे विप्र

छपरा। हमारे प्रतिनिधि शहर के मारुति मानस मंदिर व श्री अंजनी दिव्यदृष्टि लोक के परिसर में चल रहे श्री हनुमान जयंती समारोह के तीसरे दिन श्री श्री 1008 जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्री वासुदेवाचार्य जी...

सब की मंगल कामना करने के कारण ही हनुमान जी बने थे विप्र
हिन्दुस्तान टीम,छपराSat, 19 Oct 2019 07:47 PM
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शहर के मारुति मानस मंदिर व श्री अंजनी दिव्यदृष्टि लोक के परिसर में चल रहे श्री हनुमान जयंती समारोह के तीसरे दिन श्री श्री 1008 जगद्गुरु रामानुजाचार्य श्री वासुदेवाचार्य जी विद्या भास्कर, अयोध्या ने प्रवचन माला का उद्घाटन अपराह्न सत्र में किया। उन्होंने इस पावन अवसर पर अपनी ओजस्वी वाणी से उपस्थित श्रद्धालुओं के समक्ष ज्ञान व नैतिक शिक्षा दी। जगतगुरु ने श्री हनुमान जी के ज्ञान की महिमा के साथ विप्रो की मंगल भावना को जोड़ते हुए श्रद्धालुओं को बताया कि आखिर पत्नी सीता की खोज में निकले मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम के पास वानर शिरोमणि सुग्रीव ने हनुमान जी को ब्राह्मण के वेश में ही क्यों भेजा। जगतगुरु ने कहा कि ब्राह्मण सब की मंगल कामना करते हैं। वे किसी के प्रति विद्रोही नहीं होते। ब्राह्मणों में सब को संयमित और संगठित कर लेकर चलने की क्षमता होती है। ब्राह्मणों की बुद्धिमता और वरीयता को कभी भी नकारा नहीं जा सकता। यही कारण है कि हनुमानजी ब्राह्मण के वेश में ही श्रीराम के सामने उनका परिचय पूछने के लिए आए थे। जगतगुरु ने कहा कि ब्राह्मणों की कृपा से सब कुछ पाया जा सकता है।

समदर्शी होते हैं ब्राह्मण

जगदगुरू ने कहा कि जो श्रेष्ठ है वही ब्राह्मण है। जो सब कुछ वरण करे, वही ब्राह्मण है। ‘सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे संतु निरामया: सर्वे भद्राणि पश्यंतु मा कश्चित् दुख भाग भवेत् की भावना वाले ब्राह्मण होते हैं। समाज में समदर्शिता की भावना रखने वाले ही ब्राह्मण कहलाते हैं। हनुमान जी वैसे ही श्रेष्ठ पुरुष थे जिन्होंने पूरे मानव समुदाय को समभाव से देखा। हनुमान जी भक्त शिरोमणि कहे जाते हैं उन्होंने मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम को अपना आदर्श मानते हुए भक्ति की पराकाष्ठा कायम की। ब्राह्मण अपने समाज और राष्ट्र की भलाई के सिवाय कुछ नहीं सोचता। पुरोहित की भूमिका में होता है अर्थात सबका चतुर्दिक और सर्वांगीण विकास चाहने वाला होता है। ब्राह्मणों की कृपा पाने का प्रयास हर व्यक्ति को करना चाहिए।

जगतगुरु ने अल्लाह शब्द की व्युत्पत्ति करते हुए बताएं कि यह शब्द अल्ला और अह से मिल कर बना है। अल्लाह का अर्थ है लक्ष्मी जी और अह का शब्द है उनके स्वामी अर्थात भगवान विष्णु। अर्थात अल्लाह भगवान विष्णु का ही दूसरा नाम है। उन्होंने कहा कि संस्कृत अद्वितीय भाषा है। इस भाषा में सब कुछ समाहित है। संस्कृत में कई ऐसे शब्द हैं जो हिंदी में स्त्रीलिंग हो जाते हैं। उन्होंने आत्मा सीमा, आग जैसे शब्दों का उदाहरण दिया। प्रात: सत्र में हनुमान जी का अभिषेक और पुरुष सूक्त से हवन समारोह में शुक्रवार से प्रतिदिन हनुमान जी का वह दूध से अभिषेक शुरू हो गया है। सुबह 6:30 बजे से 10:30 बजे तक श्रीरामचरितमानस का नवाह्न पाठ शुरू होता है जिसमें भक्तगण पूरी श्रद्धा के साथ शामिल हो रहे हैं। महिलाओं की संख्या ज्यादा है। पुरुष सूक्त व श्री सूक्त से हवन रोजाना किया जा रहा है। इसमें श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। हर श्रद्धालु अपने जीवन में अर्थ धर्म और काम मोक्ष की प्राप्ति करना चाहते हैं।

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