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बसों में पचास फीसदी का नियम बेमानी, ठूंसकर यात्रियों को ढो रहे वाहन

हैं। यात्रियों का कहना है कि बेहद कम संख्या में सड़कों पर बसें दिख रही हैं। संचालकों का कहना है कि यात्रियों को रोकने पर वे मारपीट पर उतारू हो जा रहे हैं। सवारी गाड़ी की छत पर बैठ कर यात्रा हो रही है।...

 बसों में पचास फीसदी का नियम बेमानी, ठूंसकर यात्रियों को ढो रहे वाहन
हिन्दुस्तान टीम,छपराSat, 08 May 2021 09:00 PM
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डोरीगंज। एक संवाददाता

15 मई तक बिहार सरकार द्वारा लगाए गए लाकडाउन में टेम्पो तक का परिचालन बंद रखने का आदेश है। फिर भी कुछ वाहनों जैसे सवारी गाड़ी, टेम्पो आदि का परिचालन हो रहा है। पहले भी अधिक गाड़ियों का परिचालन होने पर भी सीट की क्षमता से अधिक सवारी बैठा कर पैसेंजर वाहन चला करते थे। आज तो खैर सड़कों पर चलने वाले वाहनों की संख्या भी कम है। वहीं लगन होने के कारण बाहर जाने के लिए वे पैसेंजर वाहन की सवारी कर रहे हैं। सीट नहीं होने पर भी मजबूरी में सवारी गाड़ी की छतों पर या पीछे व बगल में लटककर सफर करने को मजबूर हैं।

बारात की गाड़ियों में ओवरलोड बराती को बैठाकर धड़ल्ले से चालक अपने गंतव्य तक की सफर कर रहे हैं। रास्ते में कोई रोकने वाला भी नहीं है। वहीं नाव पर मजदूरी करने जाने वाले भी रिजर्व पैसेंजर वाहन कर ओवरलोड सवार हो कर नदी के किनारे तक बेधड़क प्रतिदिन आते जाते हैं। दूध के कारोबारी चकिया निवासी बुधन राय ने बताया कि मिठाई की दुकान पर विवाह के लिए मिठाई का ऑडर पहले से लिया गया है। जहां मैं पहले से ही रोक में दूध सप्लाई करता था। लाकडाउन होने पर भी शादी हो रही है। दुकानदार द्वारा पार्टी को मिठाई सप्लाई करने के लिए मिठाई बनाना है जिसके लिए दूध देना जरूरी है। वाहन नहीं चलने के कारण मजबूरन चलने वाले वाहनों की छत पर दूध के साथ बैठकर जाना पड़ता है। वहीं बारात लेकर जा रहे बोलेरो चालक कुंदन ने बताया कि हमलोग बारात के मालिक को कम आदमी बैठाने को कहते है लेकिन कोई सुनने व मानने को तैयार नहीं है।

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