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मन को पावन करने की औषधि है श्रीराम कथा : राघवाचार्य

बक्सर। निज संवाददाता सत्संग की प्राप्ति होती है। गुरु कृपा के बिना किसी जीव को भगवान की प्राप्ति नहीं हो सकती है। कथा को विस्तार देते हुए महाराज श्री ने कहा कि भगवान की कथा गंगा है। जो अपनी ताप से...

मन को पावन करने की औषधि है श्रीराम कथा : राघवाचार्य
हिन्दुस्तान टीम,बक्सरSat, 04 Dec 2021 11:20 AM
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बक्सर। निज संवाददाता

सिय-पिय मिलन महोत्सव के तीसरे दिन शुक्रवार को श्रीराम कथा के अवतरित होने की चर्चा की गई तथा इसकी महता बताई गई। श्रीमद्बाल्मीकी रामायण मर्मज्ञ स्वामी श्री राघवाचार्य जी महाराज ने कहा कि सुख व संपत्ति तो कर्मों का फल है। भगवान की कृपा होने पर सत्संग की प्राप्ति होती है। गुरु कृपा के बिना किसी जीव को भगवान की प्राप्ति नहीं हो सकती है।

कथा को विस्तार देते हुए महाराज श्री ने कहा कि भगवान की कथा गंगा है। जो अपनी ताप से जीव के सारे पापों को नष्ट करती है। कथा के अवतरण की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि मां पार्वती के पूछने पर भगवान शंकर द्वारा बताया गया कि सबसे पहले इसे खुद श्रीराम जी ने ब्रह्मा जी को बताई थी। ब्रह्मा जी ने देवर्षि नारद जी को, देवर्षि ने महर्षि बल्मीकी को तथा महर्षि बाल्मीकी ने संसार को श्रीराम कथा का ज्ञान कराई। स्वामी जी ने कहा कि मन व शरीर को पवित्र करने हेतु श्रीराम कथा के अलावा दूसरा कोई साधन नहीं है। वेदों में बताया गया है कि आचार्यों के द्वारा दिए मंत्र से प्राणी मात्र को भगवान की प्राप्ति होती है। यही कारण है कि गुरु द्वारा काफी गोपनीयता से शिष्य के कान में मंत्र दिया जाता है। शिष्य का भी परम दायित्व है कि वह मंत्र की गोपनियता बरकरार रखे तथा गुरु के वैभव के विषय में सबको बताए। इसके विपरीत कार्य करने पर शिष्य की आयु और सम्पदा दोनों नष्ट होते हैं। श्री सीताराम विवाह महोत्सव आश्रम के महंत श्री राजराम शरण जी महाराज के सान्निध्य में आयोजित कार्यक्रम में डॉ.रामनाथ ओझा ने मंच संचालन की जिम्मेवारी निभाई। इस मौके पर विभिन्न जगहों से पधारे संत-महात्मा व श्रद्धालु मौजूद थे।

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