उदघाटन से पहले ही दरकने लगी पटना-बक्सर फोरलेन
हैं। सड़क में कई स्थानों पर पड़ी लंबी-लंबी दरारें न केवल उसकी गुणवत्ता की पोल खोल रही हैं, बल्कि निर्माण कार्य में लगी कंपनी पीएनसी इंफ्राटेक शक के दायरे में भी आ गई हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि...
बक्सर। निज प्रतिनिधि
पटना और बक्सर के बीच फोरलेन में तब्दील हो रही राष्ट्रीय राजमार्ग-84 उदघाटन से पहले ही दरकने लगी। तीन पैकेजों में बन रही इस सड़क के कई जगहों पर दरारें पड़ गई हैं। इससे बिहार की यह बहुचर्चित सड़क अपने निर्माण को लेकर सवाल उठने लगे हैं। सड़क में कई स्थानों पर पड़ी लंबी-लंबी दरारें न केवल उसकी गुणवत्ता की पोल खोल रही हैं, बल्कि निर्माण कार्य में लगी कंपनी पीएनसी इंफ्राटेक शक के दायरे में भी आ गई हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि फोरलेन का निर्माण क्या मानक के अनुरूप नहीं हो रहा है? अगर, हां तो नवनिर्मित सड़क उदघाटन से पहले ही अपना वजूद क्यों खोने लगी? हैरानी की बात यह है कि टूट रही सड़क की सुधि न ही जिला प्रशासन ले रहा है और न ही एनएचएआई की टीम।
निर्माण के बाद से ही टूटने लगी सड़क :
तृतीय पैकेज के तहत एनएच-84 का निर्माण शाहपुर (भोजपुर) से भरौली (यूपी) तक हो रहा है। 48 किलोमीटर लंबी इस परियोजना का फाइनल (पीक्यूसी) कार्य लगभग 20 किलोमीटर पूरा हो चुका है। जबकि, शेष स्थानों पर कार्य चल रहा है। परन्तु, विडंबना यह है कि निर्माण करा रही कंपनी सड़क की गुणवत्ता का ख्याल नहीं रख पा रही है। कंपनी द्वारा की जा रही मानक की अनदेखी से बिहार और यूपी को जोड़ने वाली यह बहुचर्चित सड़क अपने स्थापना काल में ही टूटकर बिखरने लगी है। जिले के गरहथा खुर्द गांव के पास कई स्थानों पर दरकी नवनिर्मित सड़क इसका साक्षात उदाहरण है। सड़क की स्थिति को देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि इसके निर्माण में किस तरह मानक की अनदेखी की जा रही है। लोगों को सबसे हैरत बड़का ढकाईच गांव के पास दरक चुकी सड़क को देखकर हो रहा है, जहां कंपनी का निर्माण प्लांट अवस्थित है। क्षेत्रिय सुबोध पांडेय, मनोहर सिंह, कैलाश यादव आदि ने बताया कि मानक को दरकिनार कर कंपनी फोरलेन का निर्माण करवा रही है। प्रशासनिक स्तर पर इसकी निगहबानी होनी चाहिए, ताकि सड़क की गुणवत्ता कायम रहे।
इनसेट
कंपनी मान रही सामान्य मामला :
निर्माण काल के दौरान ही टूटकर दरक रही फोरलेन सड़क को पीएनसी इंफ्राटेक एक सामान्य मामला मान रही है। कंपनी के परियोजना प्रबंधक एम. चिन्नी कृष्णा ने बताया कि निर्माण के दौरान सड़कों का टूटना आम बात है। ओवरलोडिंग वाहनों का परिचालन होने से सड़कें अक्सर टूट जाती हैं। उन्होंने बताया कि निर्माण कार्य पूरा होने के बाद टूट चुकी सड़क को पुन: नए सिरे से मरम्मत करवा कर बेहतर बना दिया जाएगा।
कोट-
सड़क के टूटने की जानकारी संज्ञान में है। कंपनी से उसके कारणों के बारे में लिखित रूप से जानकारी मांगी गई है। जल्द ही टूटी सड़क की भौतिक जांच कर उसकी मरम्मत करवायी जाएगी।
-दिलीप सिंह, टेक्नीकल मैनेजर, एनएचएआई बक्सर।
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