धान फसल में अनावश्यक उग आए खरपतवार का करें प्रबंधन
पेज चार पर फ्लायर सुझाव तापमान में उतार चढ़ाव से अनावश्यक उग रहे खरपतवार ससमय प्रबंधन नहीं करने प्रभावित हो सकता है धान उत्पादन फोटो संख्या -03 कैप्शन -सदर प्रखंड स्थित जगदीशपुर गांव के समीप लगे धान...

पेज चार पर फ्लायर
सुझाव
तापमान में उतार चढ़ाव से अनावश्यक उग रहे खरपतवार
ससमय प्रबंधन नहीं करने प्रभावित हो सकता है धान उत्पादन
फोटो संख्या -03 कैप्शन -सदर प्रखंड स्थित जगदीशपुर गांव के समीप लगे धान के पौधे ।
बक्सर, हिन्दुस्तान संवाददाता। कम बारिश और तापमान में उतार-चढ़ाव के चलते धान फसल में उग आए अनावश्यक खरपतवार को लेकर जिले के किसान चिंतित हैं। खेतों में खरपतवार उगने की समस्या के समाधान को लेकर यहां के किसान लगतार लालगंज स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में पहुंच रहे हैं। केविके के पादप सुरक्षा विशेषज्ञ रामकेवल ने बताया कि खेतों में उग आए खरपतवार प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रुप से फसल को हानि पहुंचाते हैं। कहा कि समय पर बारिश नहीं होने के चलते खरपतवारों की अधिक समस्या आ रही है। फसल में मुख्यत: साई घास, केना घास, मोथा घास सिहुर, वनमिर्चा, वनमकोय आदि घास उग आते हैं। समयानुसार इन खरपतवारों का प्रबंधन नहीं किया गया तो उपज में पचास से अस्सी प्रतिशत तक नुकसान हो सकता है। बताया कि धान फसल में मुख्यत: खरपतवारों एवं पौधों के बीच प्रतिस्पर्धा रोपाई से एक सप्ताह से लेकर चालीस से पैंतालीस दिन तक अधिक होती है।
धान फसल में खरपतवार का ऐसे करें नियंत्र
केविके के विशेषज्ञ रामकेवल ने बताया कि खरपतवार के नियंत्रण के लिए मई, जून माह में खेत की गहरी जुताई करें। खेत में खरपतवार कम होने पर हाथ से निकाई करे। रोपाई के तीन दिन के अंदर खेत में तीन से चार इंट पानी लगाकर प्रेटिलाक्लोर नामक रसायन की पंद्रह सौ मिली मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करें। खरपतवार जब तीन से चार पत्ती का हो जाए तो संकरी पत्ती के खरपतवार के लिए पायराजोसल्फ्यूरान नामक रासायन की अस्सी ग्राम मात्रा तथा चौड़ी पत्ती के खरपतवारों के लिए विस्पाइरीवैक सोडियमकी सौ मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
