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बाढ़: बक्सर शहर के निचले इलाकों में घुसा पानी

गंगा का बढ़ता हुआ जलस्तर जिले के आधा दर्जन प्रखंड और तटीय इलाकों में कहर बरपाने लगा है। बता दें कि सिमरी, ब्रह्मपुर, चौसा, बक्सर, सिमरी व चक्की प्रखंड के दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया...

बाढ़: बक्सर शहर के निचले इलाकों में घुसा पानी
हिन्दुस्तान टीम,बक्सरThu, 19 Sep 2019 11:05 PM
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बक्सर। हिन्दुस्तान संवाददाता

गंगा का बढ़ता हुआ जलस्तर जिले के आधा दर्जन प्रखंड और तटीय इलाकों में कहर बरपाने लगा है। बता दें कि सिमरी, ब्रह्मपुर, चौसा, बक्सर, सिमरी व चक्की प्रखंड के दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी घुस गया है। वहीं गंगा के तटीय इलाकों में भी पानी घुसने के कारण जान माल का नुकसान हुआ है। वहीं बक्सर-मोहनियां पथ पर पानी चढ़ जाने के कारण आवगमन प्रभावित हो गया है।

खतरे के निशान से 44 सेमी उपर बह रही गंगा:

केंद्रीय जल आयोग के कनीय अभियंता कन्हैया कुमार ने बताया कि गंगा के पानी में लगातार वृद्धि हो रही है। आधा सेमी के रफ्तार से पानी बढ़ रहा है। बताया कि गुरुवार को शाम पांच बजे तक गंगा का जलस्तर 60.76 मीटर पहुंच गया है, जो खतरे के निशान से 44 सेमी उपर है। लगातार पानी बढ़ने के कारण पांच प्रखंडों के कई गांवों का संपर्क जिला मुख्यालय से टूट चुका है। लोग सुरक्षित जगहों पर पलायन करने लगे हैं।

''सब फसल बर्बाद हो गइल ए सरकार'':

सदर प्रखंड के अहिरौली गांव स्थित मल्लाह टोली में बाढ़ का पानी घुस गया है। मल्लाह टोली के निवासी गया मांझी ने कहा कि सब फसल बर्बाद हो गइल ए सरकार। नेनुआ, मिर्च, कद्दू सब फसल बाढ़ में डूब गइल। साहब लोग भी पूछे नइखे आवत। । घर में भी घुटना भर पानी जमा हो गइल बा। रहे के शरण तक नइखे। लाल बिहारी मांझी ने कहा कि छोटे-छोटे बच्चा के साथ गुजर बसर कर रहे हैं। खाना तक बनाने में परेशानी हो रही है। विषैला जीव जंतू बाढ़ के पानी में बह कर घर में आ रहे हैं। हमेशा जान जाने का डर सता रहा है। राम प्रवेश मांझी ने कहा कि रात भर जाग कर बच्चों और परिवार के अन्य सदस्यों का ख्याल रखना पड़ रहा है। कब कितना पानी आ जाएगा इसका अंदाजा नहीं है। घर में ना ही रहने की जगह है और ना ही मवेशी बांधने का कोई जगह बचा है। मवेशी के लिए चारा का संकट गहरा गया है।

कमर भर पानी पार कर घर से निकल रहे लोग:

जिला मुख्यालय में भी बाढ़ प्रभावित करने लगा है। तटीय इलाके में कई घरों में पानी घुस गया है। हालात यह है कि घरों में चप्पल, जूता, बर्तन समेत अन्य समान तैर रहा है। रामरेखा घाट के सटे एक मकान में रह रहे ब्रह्मेश्वर तिवारी ने कहा कि कमर भर पानी पार कर आना जाना पड़ रहा है। जीवन एकदम से नारकीय हो गया है। विषैले कीट मकोड़े का डर सता रहा है सो अलग। विनय बहादुर पांडेय ने कहा कि बच्चों की पढ़ाई चौपट हो गई है। खाने पीने के सामान समेत अन्य सामग्री कहां रखें समझ में नहीं आ रहा। कुछ इसी तरह की परेशानी हरेंद्र पांडेय और नागा बाबा के घर के सदस्यों को झेलना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि हम लोगों की परेशानी पर प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है।

एनडीआरएफ की दो कंपनियों ने संभाली कमान:

जिले में संभावित बाढ़ के खतरे से निपटने के लिए एनडीआरएफ की दो कंपनी के जवानों ने कमान संभाल ली है। जानकारी के अनुसार एक कंपनी को डुमरांव अनुमंडल और दूसरे को बक्सर अनुमंडल में प्रशासन ने तैनात किया है। एनडीआरएफ के जवान बाढ़ में किसी भी तरह कि विकट परिस्थिति से निपटने में दक्ष हैं। बता दें कि एक कंपनी में तीस जवान होते हैं। बक्सर और डुमरांव अनुमंडल के बाढ़ग्रस्त इलाके में इन जवानों को तैनात कर दिया गया है। एनडीआरएफ के जवान गंगा में पेट्रोलिंग कर बाढ़ग्रस्त क्षेत्र में नजर रख रहे हैं।

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