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मान्यता समाप्त होने से अंगीभूत कॉलेजों में नामांकन का बढ़ा दबाव

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने इंटर विज्ञान, कला एवं वाणिज्य का रिजल्ट ओपेन घोषित किया है, और जितने छात्र-छात्रा पास किए हैं,उसके अनुसार कॉलेजों में सीट नहीं...

मान्यता समाप्त होने से अंगीभूत कॉलेजों में नामांकन का बढ़ा दबाव
हिन्दुस्तान टीम,बक्सरFri, 27 Sep 2019 10:19 PM
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डुमरांव। निज संवाददाता

बिहार विद्यालय परीक्षा समिति ने इंटर विज्ञान, कला एवं वाणिज्य का रिजल्ट ओपेन घोषित किया है, और जितने छात्र-छात्रा पास किए हैं,उसके अनुसार कॉलेजों में सीट नहीं है। जितने कॉलेजों में सीट हैं, उससे दोगुने छात्र-छात्रा बीए पार्ट वन में नामांकन के लिए आवेदन किए हैं। इधर वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय से संबंद्ध कॉलेजों की मान्यता रद्द होने के कारण नामांकन में और मुश्किलें खड़ी हो गई है। छात्र-छात्रा नामांकन के लिए भटक रहे हैं। उन्हें भविष्य की चिंता सताने लगी है। अब विश्वविद्यालय पर सीट बढ़ाने का दबाव बढ़ता जा रहा है।

17 अंगिभूत कॉलेज हैं यूनिवर्सिटी में:

गौरतलब है कि वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय में 17 अंगीभूत कॉलेज हैं। विश्वविद्यालय के अधीन पहले 52 संबंध कॉलेज हुआ करते थे, जिसमें 31 कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी गयी है। मान्यता रद्द होने से जो नामांकन उन कॉलेजों में होता था, बंद हो गया। बंद होने का दबाव अंगीभूत कॉलेजों पर आ गया। इधर, सीट लिमिट होने के कारण नामांकन सूची से बाहर के छात्र-छात्राओं का नामांकन नहीं हो रहा है। अंगीभूत कॉलेजों में नामांकन की प्रक्रिया शुरू है। डीके कॉलेज की मानें तो विश्वविद्यालय ने नौंवीं सूची जारी कर दी है। पास छात्र-छात्राओं की अपेक्षा कॉलेजों में सीट कम पड़ गए हैं। लिहाजा, बीए पार्ट वन में नामांकन के लिए भटक रहे हैं। मिली जानकारी के अुनसार, अंगीभूत कॉलेजों के कला में 1830 सीटें मौजूद हैं। विज्ञान में 760 सीटें हैं। कॉलेज के प्राचार्य डा. धीरेन्द्र कुमार ने बताया कि कॉमर्स में वोकेशनल कोर्स के तहत 300 सीटें मौजूद हैं, जिसका सीधे नामांकन का प्रावधान है।

सीट का कोटा बढ़ाने की उठ रही है मांग:

अगर विश्वविद्यालय सीट का कोटा नहीं बढ़ाता है तो हजारों छात्र-छात्रा बीए पार्ट वन में नामांकन से वंचित रहे जाएंगे। ऐसे में उनके भविष्य पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होने लगा है। इधर कॉलेज भी वंचित छात्र-छात्राओं से सीट बढ़ने तक इंतजार करने की सलाह दे रहा है तो उधर छात्र-छात्रा के अभिभावक व छात्र संघों द्वारा सीट का कोटा बढ़ाने की मांग हो रही है। सभी अब सभी सीट बढ़ने का इंतजार कर रहे हैं। क्योंकि अन्य कोटा से होने वाले नामांकन का सीट भी भर गया है। बहरहाल, जो भी हो, लेकिन छात्रों के भविष्य की चिंता सता रही है।

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