बृजबिहारी हत्याकांड में मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी की उम्रकैद बरकरार, SC से अर्जी खारिज
बिहार के पूर्व मंत्री बृजबिहारी प्रसाद हत्याकांड में दोषी मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाए जाने वाले फैसले के पुनर्विचार की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने 1998 में पटना में पूर्व आरजेडी मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की हत्या के मामले में दोषी बाहुबली विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला की उम्रकैद की सजा बरकरार रखी है। पूर्व सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने शुक्ला और एक अन्य दोषी मंटू तिवारी की पुनर्विचार की मांग वाली याचिका को खारिज कर दिया। पिछले साल 3 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को हाईप्रोफाइल मर्डर केस में दोषी ठहराया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश 6 मई को दिया था, जिसे हाल ही में ऑनलाइन अपलॉड किया गया है। आदेश के अनुसार रिकॉर्ड पर मौजूद दस्तावेजों को ध्यान में रखते हुए अदालत ने कहा, "हमें 3 अक्टूबर, 2024 के फैसले की समीक्षा करने का कोई अच्छा आधार और कारण नहीं मिला।" सु्प्रीम कोर्ट ने समीक्षा याचिकाओं पर खुली अदालत में सुनवाई की प्रार्थना को भी खारिज कर दिया।
पिछले साल सर्वोच्च न्यायालय ने पटना हाई कोर्ट के उस फैसले को आंशिक रूप से खारिज कर दिया था, जिसमें सभी आरोपियों को बरी कर दिया गया था। साथ ही बृजबिहारी हत्याकांड के दोषी पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को आजीवन कारावास की सजा भुगतने के लिए 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा था।
दोनों आरोपियों उन पर आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के साथ धारा 34 के तहत 20,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया। साथ ही धारा 307 (हत्या का प्रयास) के साथ धारा 34 के तहत 20,000 रुपये के जुर्माने के साथ पांच साल की अतिरिक्त जेल की सजा काटने का आदेश दिया गया। सुप्रीम कोर्ट ने इस केस में पूर्व सांसद सूरजभान सिंह सहित अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी करने का फैसला बरकरार रखा था।
यह है पूरा मामला
13 जून 1998 को बिहार के तत्कालीन मंत्री बृजबिहारी प्रसाद की उनके पटना स्थित आवास पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। वह वैशाली जिले में आरजेडी के प्रमुख नेता थे। उनकी पत्नी रमा देवी बाद में बीजेपी से सांसद भी बनीं। हमलावरों ने रात के समय बृजबिहारी के घर में घुसकर हमला बोला और उनके बॉडीगार्ड को भी मार दिया था।
इस केस की जांच में वैशाली से विधायक रहे मुन्ना शुक्ला का नाम आया। वह आरजेडी और जेडीयू मे रह चुके हैं और उनकी गिनती अपराधियों से नेता बने बिहार के चंद चर्चित चेहरों में होती है। 2024 में उन्होंने आरजेडी के टिकट से लोकसभा का चुनाव भी लड़ा था लेकिन हार गए थे। इस केस का दूसरा मुख्य आरोपी मंटू तिवारी है, जो लोकल क्राइम में शामिल था।
साल 2008 में पटना की अदालत ने बृज बिहारी हत्याकांड में मुन्ना शुक्ला, मंटू तिवारी समेत 6 लोगों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। 2014 में हाई कोर्ट ने निचली अदालत का फैसला पलट दिया और सूरजभान सिंह, राजन तिवारी और 4 अन्य आरोपियों को बरी कर दिया था। हालांकि, मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी की सजा बरकरार रखी गई थी। इसके बाद यह मामला सुप्रीम कोर्ट में गया, लेकिन वहां से भी दोनों को राहत नहीं मिल पाई।