यूथ एंड इको क्लब : जिले के 68 स्कूलों के 17 लाख का नहीं है लेखा-जोखा
यूथ एंड इको क्लब : जिले के 68 स्कूलों के 17 लाख का नहीं है लेखा-जोखायूथ एंड इको क्लब : जिले के 68 स्कूलों के 17 लाख का नहीं है लेखा-जोखायूथ एंड इको क्लब : जिले के 68 स्कूलों के 17 लाख का नहीं है...
हिन्दुस्तान एक्सक्लूसिव :
यूथ एंड इको क्लब : जिले के 68 स्कूलों के 17 लाख का नहीं है लेखा-जोखा
जिले में 287 हाईस्कूल हैं संचालित, वर्ष 2019 में 190 स्कूलों को भेजी गयी थी राशि
3 साल बाद भी राशि का विभाग में नहीं है लेखा-जोखा
79 स्कूलों ने पहले दिया था हिसाब-किताब, 43 हाल में जमा की उपयोगिता
फोटो :
रीडिंग स्कूल : स्कूल में पढ़ाई करते बच्चे। (फाइल फोटो)
बिहारशरीफ, हिन्दुस्तान संवाददाता।
यूथ एंड यूको क्लब के माध्यम स्कूलों में छात्रों के बीच गतिविधियां कराने के लिए वर्ष 2019 में 190 हाईस्कूलों को 25-25 हजार रुपए दिये गये थे। जबकि, जिले में 287 हाईस्कूल संचालित हैं। लेकिन, तीन साल बाद भी 68 स्कूलों को भेजे गये 17 लाख रुपये का अता-पता नहीं चल रहा है। इसकी पुष्टि विभागीय रिपोर्ट कर रही है। हद तो यह कि शिक्षा विभाग की इस महत्वपूर्ण योजना की राशि अधिकतर स्कूलों के एचएम लौटा देने की बात कह रहे हैं।
डीपीओ अनिल कुमार ने बताया कि संभाग प्रभारी संजय कुमार के अनुसार 79 स्कूलों में पहले ही उपयोगिता जमा करा दी थी। हाल में 43 स्कूलों के एचएम ने उपयोगिता जमा करायी है। इनमें 26 स्कूलों ने राशि वापस की तो 17 स्कूलों के एचएम ने खर्च का हिसाब-किताब दिया। लेकिन, अभी भी 68 स्कूलों का लेखा-जोखा नहीं मिल रहा है। जबकि, निदेशालय पाई-पाई का हिसाब मांग रहा है। इसका खामियाजा अधिकारियों को झेलनी पड़ रही है।
गतिविधियों से छात्र रह गये वंचित :
स्कूलों में छात्रों के बीच खेलकूद प्रतियागिताएं यथा योग, ड्रामा, वाद-विवाद, संगीत, कला व सांस्कृतिक व अन्य गतिविधियां कराकर शारीरिक व भौतिक विकास कराने का लक्ष्य है। इसी तरहई इको क्लब में पर्यावरण को संरक्षित रखने यथा जैव विविधता, जलवायु, पोषण, स्वास्थ्य व स्वच्छता के प्रति छात्रों द्वारा कार्यक्रम कराये जाने का प्रावधान है।
कुप्रथाओं को दूर करना:
यूथ क्लब में बाल विवाह, दहेज प्रथा व अन्य कुप्रथाओं को खत्म करने के लिए लोगों को जागरूक करने की सोच के तहत इसका गठन किया गया था। वहीं इको क्लब में पर्यावरण को संरक्षित रखने के दिशा मे काम करने के लिए गठन किया गया था। स्कूलों परिषर के आस-पास पौधरोपण कर पर्यावरण को संरक्षित रखने पर काम किया जाना था। लेकिन, अधिकतर स्कूलों के एचएम ने छात्रों के हित में नहीं सोचकर सीधे विभाग को राशि लौटा दी। बुद्धिजीवियों ने बताया कि राशि लौटाने से एचएम को कुछ नहीं बिगड़ा, लेकिन मासूम छात्र गतिविधियां से वंचित रह गये।
बोले अधिकारी :
योजना की राशि का समय पर उपयोगिता जमा नहीं होना संभाग प्रभारी की लापरवाही को दर्शाता है। जब तक पाई-पाई का हिसाब नहीं दिया जायेगा, संभाग प्रभारी का वेतन बंद रखा जायेगा।
अनिल कुमार, डीपीओ, समग्र शिक्षा कार्यक्रम