गांवों में बीमारियां फैलने पर 48 घंटे के अंदर पहुंचेगी रैपिड रिस्पॉंस टीम
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गांवों में बीमारियां फैलने पर 48 घंटे के अंदर पहुंचेगी रैपिड रिस्पॉंस टीम
डायरिया, डेंगू के रोगी मिलने पर तुरंत एएनएम आईएचआईपी पोर्टल पर करेंगी अपलोड
स्थिति ठीक होने तक रिस्पॉंस टीम रखेगी पूरी नजर
पोर्टल पर लोड होने के बाद इसकी राष्ट्रीय व रज्य स्तर पर होती रहेगी मॉनिटरिंग
फोटो :
सीएस मेडल : आईएचआईपी पोर्टल में बेहतर प्रदर्शन के मेडल व प्रशस्ति पत्र के साथ सीएस डॉ. अविनाश कुमार सिंह, एसीएमओ डॉ. विजय कुमार सिंह व अन्य।
बिहारशरीफ, निज संवाददाता।
गांवों में डेंगू, चिकनगुनिया, डायरिया जैसी रोगों के नियंत्रण के लिए कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग ने इंटिग्रेटेड हेल्थ इनफॉर्मेशन प्लेटफॉर्म (आईएचआईपी) पोर्टल बनाया है। जिसके माध्यम से ग्रामीण स्तर तक इस तरह की बीमारियों पर न सिर्फ नियंत्रण रखी जा सकेगी। बल्कि, वहां स्थानीय स्तर पर हो रहे काम व अभियान की मॉनिटरिंग भी राष्ट्र व राज्य स्तर पर की जा रही है। आवश्यकता पड़ने पर वहां रैपिड रिस्पॉंस टीम पहुंचकर सहायता व अन्य सुविधाएं उपलब्ध कराएगी।
सीएस डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने बताया कि इस पोर्टल पर सात तरह की जानकारियों को एएनएम एस फॉर्म (सिंड्रोमिक) पर जानकारी दर्ज करेंगे। इसमें सात दिन से अधिक समय से बुखार रहना, सात दिन से कम समय से बुखार रहना, कफ बिना बुखार के, कफ बुखार के साथ, पतला पखाना, चार सप्ताह से अधिक या कम समय से जॉन्डिस, एक्युट फ्लैसिड पारालाइसिस संबंधित जानकारियां दर्ज करनी होती है। इसे एएनएम जैसे ही इस पोर्टल पर अपलोड करती हैं। यह जानकारी ऑनलाइन हो जाती है। पहले वे अपने स्तर से इसका इलाज करते हैं। वहां से नियंत्रित नहीं होने पर संबंधित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में तैनात रैपिड रिसपॉंस टीम 48 घंटे में उस गांव या इलाका में पहुंचकर अग्रतर कार्रवाई, इलाज व सुविधाएं मुहैया कराती है। वहां से भी नियंत्रण नहीं होन पर क्रमश: जिला, राज्य व राष्ट्र स्तर की रिस्पॉंस टीम वहां आकर पूरे मामले का अध्ययन व इलाज की पूरी व्यवस्था करती है। स्थिति नियंत्रित होने तक इसकी मॉनिटरिंग की जाती है। सीएस ने सभी एनएनम व स्वास्थ्यकर्मियों को बधाई दी है। साथ ही इस पोर्टल पर इस तरह की सभी जानकारी रियल टाइम रिपोर्टिंग के आधार पर अपलोड करने की अपील की है।
नालंदा तीसरे नंबर पर, किया गया सम्मानित:
एसीएमओ डॉ. विजय कुमार सिंह ने बताया कि आईएचआईपी पोर्टल पर अपलोड करने के मामले में 69 फीसद उपलब्धि के साथ नालंदा तीसरे नंबर पर है। जहानाबाद को सबसे अधिक अंक 92 फीसद मिले हैं। वहीं दूसरे नंबर पर पूर्णिया, चौथे नंबर पर सुपौल व पांचवें नंबर पर भागलपुर रहा है। इसके लिए पटना के मौर्या होटल में आयोजित कार्यक्रम में टॉप फाइव जिला को मेडल व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया है।
इन बिंदुओं पर होती है मार्किंग :
पोर्टल पर अपलोड करने के बाद जिला या प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के साथ स्थानीय स्वास्थ्यकर्मी कितना जवाबदेही निभाते हैं। इस पर अंक निर्भर करता है। सबसे पहले एएनएम के स्तर पर एस फॉर्म भरना पड़ता है। अगर इस स्तर पर स्थिति नियंत्रित नहीं हुई, तो रिस्पॉंस टीम वहां जाती है। उसे पी फॉर्म यानि प्रिजेंप्टिव (बचाव के उपाय) का ब्योरा अपलोड करना पड़ता है। इसके बाद लेबोरेट्री जांच यानि एल फॉर्म भरना पड़ता है। इसके बाद अर्बन मैपिंग व आउटब्रेक रिस्पॉंस के आधार पर जिला को अंक दिए जाते हैं। ये सभी रिपोर्ट इसी पोर्टल पर दर्ज ब्योरा के आधार पर तैयार किया जाता है।
