डिग्री कॉलेज राजगीर में 23 विषयों के पढ़ाने को मात्र 18 अध्यापक
डिग्री कॉलेज राजगीर में 23 विषयों के पढ़ाने को मात्र 18 अध्यापकडिग्री कॉलेज राजगीर में 23 विषयों के पढ़ाने को मात्र 18 अध्यापकडिग्री कॉलेज राजगीर में 23 विषयों के पढ़ाने को मात्र 18 अध्यापकडिग्री...

डिग्री कॉलेज राजगीर में 23 विषयों के पढ़ाने को मात्र 18 अध्यापक कॉलेज में है प्रोफेसरों की कमी, कैसे होगा छात्रों का सिलेबस पूरा फोटो : 30राजगीर01-राजगीर डिग्री कॉलेज का भवन। राजगीर, निज संवाददाता। अनुमंडल का राजकीय डिग्री कॉलेज राजगीर में 23 विषयों को पढ़ाने के लिए मात्र 18 प्रोफेसर ही बहाल है। इसमें सात स्थायी प्राफेसर हैं तो वहीं 5 गेस्ट प्रोफेसर हैं और इसके अलावा कॉलेज द्वारा रखे गये गेस्ट लेक्चरर हैं। इस कारण छात्रों को न तो विषयवार पढ़ाई ही हो पाती है और न उनका सिलेबस ही पूरा हो पाता है। कॉलेज में इस समय तीन हजार से भी अधिक छात्रों का नामांकन है। कॉलेज की स्थापना को छह साल पूरा हो चुका है इसके बाद भी अब तक परिसर में पर्याप्त भवन व कमरा तक नहीं है। इस कारण बच्चों को विषयवार शिक्षा नहीं मिल पाती है। छात्रों के बैठने के लिए 10 कमरा ही मौजूद है। इस कारण बच्चों को अपनी कक्षा में बैठने के लिए घंटों तक इंतजार करना पड़ता है। एक क्लास पूरी होती है तब दूसरी क्लास के बच्चे कमरे में बैठते हैं। डिग्री कॉलेज में काम करने के लिए अब तक मात्र दो अस्थायी कर्मचारी ही बहाल हैं। इस कारण भी बच्चों को नामांकन सहित अन्य कामों में परेशानी का सामना करना पड़ता है। यहां पर आउटसोर्सिंग से 19 लोगों को काम पर रखा गया है। इस कारण कॉलेज अब तक इन कर्मियों के भरोसे ही चल रहा है। ऐसे में छात्रों का भविष्य अंधकार में ही डूबता नजर आता है। अनुमंडल स्तर के इस कॉलेज की स्थापना से लोगों में आस जागी थी कि अब अपने शहर में ही बच्चों को एक बेहतर शिक्षा संस्थान मिलेगा। आलम यह है कि अब तक यहां पर सालों से एक स्थायी प्राचार्य तक नहीं आ पाये हैं। एक ओर नई शिक्षा नीति को अमल पर लाना विश्वविद्यालय और कॉलेज के लिए चुनौती है। वहीं क्लास रूम, प्रोफेसर व कर्मी के अभाव में छात्रों की पढ़ाई भी बाधित हो रही है। विश्वविद्यालय 75 प्रतिशत उपस्थिति की बात करती है वहीं अगर कॉलेज में बच्चे आने लगे तो खड़ा होने के लिए जगह भी कम पड़ जायेगी। कला, विज्ञान व वाणिज्य की हो रही पढ़ाई : कॉलेज में कला, विज्ञान व वाणिज्य संकाय की पढ़ाई हो रही है। यहां पर 18 पारंपरिक विषय हैं तो वहीं पर 5 व्यवसायिक पाठ्यक्रम हैं। सरकार ने पिछड़ा-अति पिछड़ा वर्ग के छात्र-छात्राओं को नि:शुल्क कोचिंग हेतु प्राक प्रशिक्षण केंद्र भी कॉलेज में संचालित कर रखा है। कमरा के अभाव में यह भी सुचारू रूप से संचालित नहीं हो रहा है। स्थापना काल से सरकार द्वारा मुहैया करायी गयी भवन में कक्षा संचालित की जा रही है। कॉलेज का न तो अपना प्रशासनिक भवन है न विज्ञान भवन। कॉलेज में 50 प्रोफेसरों का पद स्वीकृत है। इसके बाद भी अब तक प्रोफेसरों की संख्या में कोई खास इजाफा नहीं हो सका है। लोगों ने कहा कि अगर यही हाल रहा तो यह कॉलेज मात्र कागजी डिग्री देने वाला कॉलेज बनकर ही रह जायेगा। अधिकारी बोलीं : कॉलेज में कमरों की संख्या कम रहने से काफी परेशानी होती है। एक प्रोफेसर अपनी क्लास लेने के लिए इंतजार करते हैं। एक अध्यापक की कक्षा समाप्त होने पर ही दूसरे अध्यापक उसी कमरे में जाकर अपनी क्लास लेते हैं। इसके अलावा कुछ प्रोफेसर तो अपने विभाग कक्ष में ही बैठकर छात्रों को पढ़ाते हैं। मुसर्रत जहां, प्रभारी प्राचार्य
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