बारिश ने बिगाड़ी बिचड़े की सेहत, नालंदा में धान की खेती पिछड़ी
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बारिश ने बिगाड़ी बिचड़े की सेहत, नालंदा में धान की खेती पिछड़ी
निर्धारित लक्ष्य का अबतक महज एक फीसद हुई धनरोपनी
92 फीसद खेतों में डाले गये बिचड़े पर रोपनी के लायक नहीं
प्राकृतिक आपदाओं की मार ने किसानों की तोड़ी कमर
फोटो
धान- धनरोपनी करते किसान।
नालंदा। हिन्दुस्तान टीम
पहले यास तूफान। फिर लगातार बारिश ने सारा खेल बिगाड़ दिया गया है। नालंदा में धान की खेती पिछड़ गयी है। खेतों में जलभराव के कारण बिचड़े बर्बाद हुए तो धनरोपनी की गाड़ी बेपटरी हो गयी। अबतक महज 1.18 (1506 हेक्टेयर) फीसद रोपनी हुई है। जबकि, इसबार जिले में एक लाख 27 हजार 800 हेक्टेयर में धान की खेती का लक्ष्य रखा गया है।
प्राकृतिक आपदाओं की मार से जिले के धरती पुत्रों की कमर टूट गयी है। रोपनी छोड़िए, ज्यादातर किसानों के बिचड़े ही तैयार नहीं हुए हैं। रोहिणी और मृगशिरा नक्षत्र में कई किसानों ने बीज बोये थे। उम्मीद लगा रखी थी कि जुलाई की शुरुआत में रोपनी करेंगे। लेकिन, बारिश ने उम्मीदों को पानी फेर दिया। धान की रोपनी शुरू भी नहीं हुई है और तैयार बिचड़ा जलप्रलय में तबाह हो गया। नदियों के उफान और बाढ़ से सबसे ज्यादा रहुई के 13 तो बिंद के 10 गांवों के किसान प्रभावित हुए। दो सौ एकड़ से ज्यादा में लगा बिचड़ा डूब गया है।
इतना ही नहीं लगातार जोरदार बारिश के कारण अधिकांश खेतों में जलभराव हो गया। बिचड़ा बर्बाद हो गया। सबसे बड़ी समस्या यह कि किसानों को दोबारा बिचड़ा बोने के लिए खेतों से पानी निकलने का इंतजार करना पड़ा। इधर, एक सप्ताह से बारिश का शोर थमा है तो किसान दोबार बिचड़ा तैयार करने में जुटे हैं। कुछ ऊंचे इलाके में लगे बिचड़े तैयार हो चुके हैं तो धनरोपनी भी शुरू हुई है। धान की रोपनी में सबसे आगे एकंगरसराय प्रखंड हैं। अबतक 289 हेक्टेयर में फसल लगी है। दूसरे पायदान पर इस्लामपुर तो तीसरे पर रहुई प्रखंड है। हालांकि, 20 में से मात्र नौ प्रखंडों में ही अबतक धान की रोपनी शुरू हो पायी है।
11 प्रखंडों में रोपनी का नहीं खुला खाता:
जिला कृषि विभाग के आंकड़ें किसानों की लाचारी और परेशानी को बयां कर रहा है। जिले के बिहारशरीफ, हरनौत, थरथरी और कतरीसराय ऐसे प्रखंड भी हैं जहां लक्ष्य के अनुसार सौ फीसद खेतों में बिचड़े बोये गये हैं। विंडबना यह कि धनरोपनी का खाता तक नहीं खुल पाया है। कारण, ज्यादातर खेतों में दोबारा बिचड़ा बोया गया है जो अभी तैयार नहीं हुआ है। कुल मिलाकर 11 प्रखंडों में अबतक रोपनी शुरू नहीं हो पायी है।
बिचड़ा तैयार करने का लक्ष्य भी दूर:
धान की रोपनी का समय गुजरता जा रहा है। लेकिन, जिले में अबतक तय लक्ष्य के अनुसार बिचड़ा तैयार करने के लिए खेतों में बीज भी डाले नहीं गये हैं। इस बार 12 हजार 800 हेक्टेयर में बिचड़े तैयार होने थे। अबतक 11 हजार 854 हेक्टेयर में बीज डाले गये हैं। यानी 92 फीसद खेतों में बिचड़े तैयार हो रहे हैं। जबकि, आठ फीसद में बीज बोना ही अभी बाकी है।
बीज बोते ही गिरी आफत:
कहीं पर जलभराव से तो कहीं पर लगातार बारिश होने से धान के बिचड़े तबाह हो गये हैं। तेलमर के किसान वशिष्ठ नारायण सिंह, चंडी के वीरेन्द्र कुमार, नूरसराय के जगदीश प्रसाद, रहुई के राजीव कुमार बताते हैं कि जून माह में ही धान का बीज डाला था। तेज बारिश के कारण खेत तालाब बन गया और सारे बीज बह गये। प्रति कट्ठा 12 किलो बीज डाला गया था। खुले बाजार में एक किलो बीज का दाम चार सौ रुपया है। अब खेतों से पानी निकला है तो फिर से बीज खरीद बिचड़ा तैयार कर रहे हैं। जबकि, बिंद में जिराइन तो रहुई में पंचाने नदी के उफान में तटबंध टूटने से खेत में लगे बिचड़े तबाह हो गये।
किसानों के पास ये हैं विकल्प :
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि बाढ़ और जलभराव से प्रभावित किसानों के पास कम अवधि वाला बिचड़ा लगाना बेहतर विकल्प है। 110 से 115 दिनों में फसल तैयार हो जाती है। इसके अलावा जिनके बिचड़े लगातार बारिश से बर्बाद हो गये हैं, वैसे किसान खेतों में जीरो टिलेज से धान की सीधी बुआई भी कर सकते हैं। इसके कई फायदे भी हैं। मसलन, बीज कम लगेगा, समय की बचत होगी व श्रम शक्ति कम लगेगा।
खरीफ की खेती एक नजर में :
12 हजार 800 हेक्टेयर में बिचड़ा तैयार होना है
11 हजार 854 हेक्टेयर में बीज डाले गये हैं
01 लाख 27 हजार 800 हेक्टेयर में धान की खेती होनी है
15 सौ 6 हेक्टेयर में अबतक रोपनी हो पायी है
इन प्रखंडों में नहीं शुरू हुई धनरोपनी :
1. बिहारशरीफ
2. अस्थावां
3. बिंद
4. हरनौत
5. सरमेरा
6. नूरसराय
7. गिरियक
8. कतरीसराय
9.करायपरसुराय
10. थरथरी
11. नगरनौसा