1962 : जिले में पहली दफा 7 विधानसभा क्षेत्र बने और जीते 7 प्रतिनिधि
1962 : जिले में पहली दफा 7 विधानसभा क्षेत्र बने और जीते 7 प्रतिनिधि1962 : जिले में पहली दफा 7 विधानसभा क्षेत्र बने और जीते 7 प्रतिनिधि1962 : जिले में पहली दफा 7 विधानसभा क्षेत्र बने और जीते 7...

सत्ता संग्राम : नालंदा विस चुनाव 03 : 1962 : जिले में पहली दफा 7 विधानसभा क्षेत्र बने और जीते 7 प्रतिनिधि वर्ष 1952 में 7, 1957 में 5 के बाद 1962 में 3 सीटों में सिमटी कांग्रेस आते ही छाने लगी स्वतंत्र पार्टी, इस्लामपुर सीट जीती और अन्य 2 पर बनी उपविजेता दिग्गज लाल सिंह त्यागी हिलसा से हारे, तो चंडी से रामराज सिंह ने पदार्पण के साथ ही बनायी गहरी पैठ इस्लामपुर विधानसभा सीट फिर से आयी अस्तित्व में, 1957 में नहीं थी फोटो : किला इस्लामपुर : इस्लामपुर का किला यानि दिल्ली दरबार। बिहारशरीफ, कार्यालय संवाददाता। नालंदा जिले में विधानसभा का तीसरा यानि वर्ष 1962 का चुनाव भी कई मायनों में अलग रहा।
खासकर, कांग्रेस के लिए। इसके सिकुड़ने का सिलसिला इस कदर बढ़ा कि सात में से तीन सीटों पर आ गयी। पहले चुनाव 1952 में सातों सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों ने जीत का परचम लहराया था। कांग्रेस से टिकट मिलना ही जीत तय कर देता था। लेकिन, वर्ष 1957 में पांच और अब महज तीन पर जा अटकी। यह चुनाव इसलिए भी खास था कि इस दफा सात सीटों के लिए सात विधानसभा क्षेत्र थे। जबकि, अब तक हुए दो चुनावों में छह-छह विधानसभा क्षेत्र ही थे। पहले चुनाव में इस्लामपुर, तो दूसरे में राजगीर विधानसभा क्षेत्र से दो-दो लोग चुने गये। लेकिन, 1957 में इस्लामपुर क्षेत्र ही गायब हो गया। इसके बाद 1962 में फिर से इसका वजूद कायम हुआ। इस चुनाव में स्वतंत्र पार्टी का अगमन हुआ। आते ही लोगों के दिलोदिमाग पर छा गया। इस्लामपुर सीट से इसके प्रत्याशी श्याम सुंदर प्रसाद विजेता, तो अन्य दो सीटों चंडी और राजगृह से इसके उम्मीद्वार उपविजेता बने। यह चुनाव 19 फरवरी 1962 को हुआ था। वहीं वामपंथी दल के प्रत्याशी भी जिले के मतदाताओं के बीच पैठ बनाने लगे थे। अस्थावां में सीपीआई के टिकट से मो. शहाबउद्दीन खान तीसरे स्थान, तो बिहार उत्तरी से मो. हबीबुर्रहमान उपविजेता बने। जबकि, चंडी से शिवबालक पासवान पांचवें स्थान पर रहे। हालांकि, इसकी नींव वर्ष 1957 में बिहार उत्तरी से खड़ा होकर विजय कुमार यादव ने रख दी थी। उनकी जिले की राजनीति में धमाकेदार इंट्री ने वामपंथ के लिए नई राह खोल दी। वे बिहार उत्तरी से उपविजेता बने थे। बाद में वे लोकसभा चुनाव लड़ने लगे। दो महान स्वतंत्रता सेनानियों की हुई हार : वर्ष 1962 के चुनाव में जिले की राजनीति ने ऐसी करवट ली कि दो महान स्वतंत्रता सेनानियों को हार का मुंह देखना पड़ा। वर्ष 1952 और 1957 में अपनी धमाकेदार दावेदारी के बीच जीत का सेहरा पहनने वाले लाल सिंह त्यागी को हारना पड़ा। जगदीश प्रसाद ने 23 हजार 526 वोट लाकर लाल सिंह त्यागी को 7,783 मत से हरा दिया। वहीं दूसरी ओर, अस्थावां विधानसभा क्षेत्र से श्याम नारायण सिंह ने भाग्य आजमाईश की। कांग्रेस से टिकट भी लिया। लेकिन, कांग्रेस की गिरती साख ने उन्हें भी हारने वालों की लाइन में ला खड़ा कर दिया। रामराज सिंह का रहा लाजवाब प्रदर्शन : इस चुनाव ने जिले में एक तेज-तर्रार व विद्वान की श्रेणी में आने वाले रामराज सिंह सरीखे बेहतर नेता का पदार्पण कराया। उन्होंने न सिर्फ चंडी क्षेत्र, बल्कि जिले के मतदाताओं के बीच गहरी पैठ बनायी। वे 1962 के अलावा 1967, 1969, 1972 में भी चुनाव जीते। वर्ष 1980 में बीमारी की वजह से नामांकन नहीं कराया। आखिरकार, 4 दिसंबर 1982 को वे जिले की राजनीति ही नहीं, दुनिया को अलविदा कह गये। इस बीच 1969 में कांग्रेस से जीतने पर सरदार हरिहर सिंह की अगुआई में शिक्षा राज्य मंत्री बने। इसके बाद वर्ष 1972 में केदार पांडेय के मुख्यमंत्रित्व काल में फिर से कई विभागों के मंत्री पद की जिम्मेवारियों का बखूबी निर्वहन किया। कहां से कौन जीते और कौन हारे : विस क्षेत्र : विजेता : पार्टी : वोट : उपविजेता : पार्टी : वोट अस्थावां : कौशलेन्द्र प्रसाद नारायण सिंह : पीएसपी : 21,749 : श्याम नारायण सिंह : कांग्रेस : 18,340 बिहार उत्तरी : सैयद वसीउद्दीन अहमद : कांग्रेस : 19,324 : हबिबुर्रहमान : सीपीआई : 13,963 बिहार दक्षिणी : गिरिवरधारी सिंह : कांग्रेस : 12,337 : बद्रीनाथ सिंह : निर्दलीय : 10,370 राजगृह (एससी) : बालदेव प्रसाद : कांग्रेस : 18,091 : रामफल आर्य : स्वतंत्र : 10,819 इस्लामपुर : श्याम सुंदर प्रसाद : स्वतंत्र : 19,391 : शर्दुल हक़ : कांग्रेस : 13,493 चंडी : रामराज सिंह : पीएसपी : 10,890 : जगत किशोर प्रसाद नारायण सिंह : स्वतंत्र : 9,141 हिलसा : जगदीश प्रसाद : जनता पार्टी : 23,526 : लाल सिंह त्यागी : कांग्रेस : 15,743
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