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नालंदा को समग्र जल प्रबंधन का आइकॉन बनाएगा नीति आयोग

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नालंदा को समग्र जल प्रबंधन का आइकॉन बनाएगा नीति आयोग
हिन्दुस्तान टीम,बिहारशरीफSat, 22 Jan 2022 09:41 PM
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नालंदा को समग्र जल प्रबंधन का आइकॉन बनाएगा नीति आयोग

15 केन्द्रीय मंत्रालयों से चयनित नालंदा समेत देशभर के 142 जिलों के डीएम से पीएम व सीईओ ने की बात

कहा-नालंदा में बेहतर जल प्रबंधन से ही आएगी खुशहाली, बाढ़-सुखाड़ से निजात दिलाने को करना होगा काम

फोटो :

पीएम डीएम : वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से नालंदा डीएम शशांक शुभंकर से जिले के जल प्रबंधन कार्यों की प्रगति की समीक्षा करते पीएम नरेन्द्र मोदी।

बिहारशरीफ। कार्यालय संवाददाता

देश के सभी जिलों में एकरूप विकास करना है। इसके लिए नीति आयोग की रणनीति के अनुसार आकांक्षी जिलों के अलावा केन्द्र के 15 मंत्रालयों ने नालंदा समेत देशभर के 142 जिलों को गोद लिया है। इन सभी जिलों में अलग-अलग बिन्दुओं पर विकास की पृथक रणनीति अपनाकर समस्याओं से निजात की दिशा में काम किया जा रहा है। इन सभी जिलों के डीएम से शनिवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व नीति आयोग के सीईओ ने बात की। नालंदा जिले को जल शक्ति मंत्रालय ने अपनाया है। पीएम व नीति आयोग के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने इस दिशा में जिले में किये गये विकास कार्यों की जानकारी डीएम शशांक शुभंकर से ली।

सीईओ ने कहा कि नालंदा को समग्र जल प्रबंधन क्षेत्र में आइकॉन के रूप में विकसित करने में मदद करें। नालंदा में बेहतर जल प्रबंधन से ही खुशहाली आएगी। बाढ़-सुखाड़ से निजात दिलाने के लिए वृहत मास्टर प्लान बनाकर काम करना होगा। अब तक यहां के पेयजल पर विस्तृत अध्ययन किया जा चुका है। जल संसाधन विभाग, नदी विकास और गंगा संरक्षण विभाग, पेयजल और स्वच्छता विभाग के साथ ही जल शक्ति मंत्रालय, ग्रामीण विकास मंत्रालय, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय नालंदा के विशेष अध्ययन में जुट गये हैं।

बनेगा वृहत रोडमैप:

सबसे पहले जलप्रबंधन के लिए वृहत रोडमैप तैयार किया जाएगा। पहले चरण में समग्र जल प्रबंधन सूचकांक, नदी पुनरुद्धार रिपोर्ट, सूक्ष्म सिंचाई की अवधारणाएं, जल प्रबंधन की सर्वोत्तम प्रथाओं व बाढ़ प्रबंधन रिपोर्ट बनायी जाएगी। बाढ़ के मैदानी क्षेत्रों में उल्लंघन की सीमा का आकलन करने के लिए जीआईएस आधारित अध्ययन कराया जाएगा। तालाबों के जीर्णोद्धार के लिए मानक संचालन प्रक्रिया का विकास होगा। क्षेत्र के प्रमुख हितधारकों के लिए जल-सचेत मानकों का विकास किया जाना है। इस दौरान भूजल प्रबंधन, वाटरशेड विकास, जल अवसंरचना, जलवायु जोखिम समेत अन्य बिन्दुओं पर विशेषज्ञों की टीम अध्ययन करेगी।

जल प्रबंधन मानक पर नालंदा कमजोर:

प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार के विभिन्न मंत्रालयों और विभागों ने 142 जिलों की सूची तैयार की है जो विकास में काफी पीछे नहीं हैं। लेकिन, एक या दो मानकों पर कमजोर हैं। उसी सामूहिक दृष्टिकोण के साथ काम करने की आवश्यकता पर बल दिया जैसा कि आकांक्षी जिलों में किया जा रहा है। यह केन्द्र व राज्य सरकारें, जिला प्रशासन और सरकारी मशीनरी के लिए एक नई चुनौती है। हमें मिलकर इस चुनौती को पूरा करना है। कहा-जब दूसरों की आकांक्षाएं आपकी आकांक्षाएं बन जाती हैं और जब दूसरों के सपनों को पूरा करना आपकी सफलता का पैमाना बन जाता है, तो कर्तव्य का वह मार्ग इतिहास बनाता है। आकांक्षी जिले देश की प्रगति की बाधाओं को दूर कर रहे हैं। वे एक बाधा के बजाय एक त्वरक बन रहे हैं। आज आज़ादी का अमृत काल के दौरान देश का लक्ष्य सेवाओं और सुविधाओं की 100 फीसद संतृप्ति प्राप्त करना है। 142 जिलों को भी इसी तरह काम करके अपनी कमी दूर करनी है।

प्रस्तुतीकरण:

नीति आयोग के सीईओ ने आकांक्षी जिलों में किये गये केन्द्रित कार्यों की तर्ज पर चयनित 142 जिलों के उत्थान के मिशन पर प्रस्तुतीकरण दिया। प्रमुख प्रदर्शन संकेतक की पहचान की गई है। सरकार का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि चयनित जिलों में प्रमुख प्रदर्शन संकेतक अगले एक वर्ष में राज्य के औसत से अधिक हो और वे दो वर्षों में राष्ट्रीय औसत के बराबर आ जाएं। प्रत्येक मंत्रालय ने इसकी पहचान की है, जिसके आधार पर जिलों का चयन किया गया था। नालंदा के जल प्रबंधन पर एडवाइजर अविनाश मिश्र, वैज्ञानिक एन कुमारवेल व गोपाल शरण, रिसर्च ऑफिसर वेंकट नारायण एगिन, एसोसिएट अरुणलाल कुमार, आर्थिक अधिकारी केके मकवाना और यंग प्रोफेशनल आकांक्षा शर्मा व प्रियंका अनमोल काम करेंगी। इन लोगों ने प्रस्तुतीकरण का विशेष अध्ययन के बाद नालंदा आएंगे।

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