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रिवाइज : नई शिक्षा नीति युवाओं व छात्रों को जोड़ेगा रोजगार से, आएगी नूतन क्रांतिकारी बदलाव

नई शिक्षा नीति युवाओं व छात्रों को जोड़ेगा रोजगार से, आएगी नूतन क्रांतिकारी बदलावनई शिक्षा नीति युवाओं व छात्रों को जोड़ेगा रोजगार से, आएगी नूतन क्रांतिकारी बदलावनई शिक्षा नीति युवाओं व छात्रों को...

Newswrap हिन्दुस्तान, बिहारशरीफSun, 14 Sep 2025 09:07 PM
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रिवाइज : नई शिक्षा नीति युवाओं व छात्रों को जोड़ेगा रोजगार से, आएगी नूतन क्रांतिकारी बदलाव

जन संवाद : नई शिक्षा नीति युवाओं व छात्रों को जोड़ेगा रोजगार से, आएगी नूतन क्रांतिकारी बदलाव स्कूलों के प्राचार्य व शिक्षकों ने छात्रों के सर्वांगीण विकास विषय पर किया मंथन करोड़ों रुपए के पुरस्कार ‘हिन्दुस्तान ओलंपियाड में छात्रों को जीतने का मिल रहा मौका 90 फीसदी से अधिक अंक लाने वाले प्रतिभागियों को लकी ड्रा से मिलेंगे पुरस्कार विद्यार्थियों के समग्र विकास में शिक्षकों की भूमिका और नई शिक्षा नीति विषय पर संवाद में लोगों ने दिए कई सुझाव फोटो : लोगो 01 : हिन्दुस्तान ओलंपियाड 2025 लोगो 02 : बिहारशरीफ नई सराय गुरुकुल विद्यापीठ परिसर में आपके अपने दैनिक अखबार ‘हिन्दुस्तान के ‘स्कूल संवाद कार्यक्रम में शामिल शिक्षक, प्राचार्य व निर्देशक।

अरविंद कुमार सिंह, आरपीएस स्कूल, बिहारशरीफ रूबीना निशात, सदर आलम मेमोरियल सेकंडरी स्कूल, बिहारशरीफ रानी पांडेय, आरपीएस स्कूल, सोहनकुआं, बिहारशरीफ शुभमय कुंडू, देलही पब्लिक स्कूल, नूरसराय बिजू थॉमस, संत पॉल इंग्लिश स्कूल, हरनौत ई. संदीप कुमार, विद्यादर्शन फाउंडेशन स्कूल, बिहारशरीफ कर्नल आरएस नेहरा, नालंदा हेरिटेज स्कूल, नालंदा डॉ. रवि चंद्र कुमार, डैफोडिल पब्लिक स्कूल, बिहारशरीफ पूनम कुमारी, गुरुकुल विद्यापीठ, बिहारशरीफ अरविंद कुमार, कैंब्रिज स्कूल, बिहारशरीफ आशीष रंजन, नालंदा विद्या मंदिर, बिहारशरीफ पिंकेश आनंद, एक्सेलेंस कॉन्वेंट स्कूल, बरबीघा अमन कुमार, माउंट लिट्रा स्कूल, सिलाव सुधांशु रंजन, संस्कार आरएस स्कूल, बिहारशरीफ अपर इंट्रो : नई शिक्षा नीति और उससे कदमताल करते ‘हिन्दुस्तान द्वारा संचालित ‘ओलंपयाड बदलते जमाने के साथ छात्र-छात्राओं के जीवन में कई नूतन क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं। हमें अपने बच्चों की प्रतिभा को आंकने और उसमें तीक्ष्णता लाने के लिए नये प्रयोग भी करने होंगे। इसी प्रयोग को छात्रों के बीच लाने के लिए हिन्दुस्तान ओलंपियाड बेहतर विकल्प दे रहा है। इसके बूते अभिभावक व शिक्षक अपने छात्रों की प्रतिभा को आंकने के बाद नये दिशा दे सकते हैं। क्योंकि, शिक्षक सिर्फ ज्ञान देने वाले नहीं होते, बल्कि छात्रों के मानसिक और शारीरिक विकास की जिम्मेदारी भी उन पर होती है। एक पढ़े-लिखे और जागरूक समाज के निर्माण की जिम्मेदारी भी उनके कंधों पर होती है। शिक्षक अपनी इस जिम्मेदारी को पूरी तरह से निभाएंगे, तभी सही मायने में बच्चों का समग्र विकास हो पाएगा। बिहारशरीफ के नई सराय मोहल्ला स्थित गुरुकुल विद्यापीठ में ‘हिन्दुस्तान के प्रतिनिधियों ने ‘स्कूल संवाद कार्यक्रम कराया। इस में शिक्षकों, प्राचार्यों व निदेशकों ने नई शिक्षा नीति व इसकी अहमियत पर प्रकाश डाली। पेश है संवाद का सार... विकास व उत्थान की सबसे पहली शर्त अनुशासन : संवाद कार्यक्रम में कई स्कूलों के प्राचार्यों और वरीय शिक्षकों ने अनुशासन की अहमियत बतायी। कहा कि बच्चों के सर्वांगीण विकास की सबसे पहली शर्त उनका अनुशासन है। इसके लिए छात्रों को संवेदनशील बनाना होगा। लोगों ने कहा कि शिक्षक को अब सिर्फ शिक्षक के तौर पर ही अपनी भूमिका नहीं निभानी है, बल्कि एक पथ प्रदर्शक की भूमिका भी निभानी है। नई शिक्षा नीति में बच्चों के समग्र विकास में अभिभावकों की भूमिका को भी महत्व दिया गया है। पहले हमारे देश में अंग्रेजों द्वारा उनकी सुविधा के अनुसार तैयार नीति के तहत शिक्षा दी जा रही थी। यह मूलत: अंग्रेजी भाषा पर केन्द्रित थी। आज नई शिक्षा नीति को देश के बुद्धिजीवियों के सुझाव पर लागू किया गया है। आने वाला समय में भारत में इसका व्यापक असर दिखेगा। बच्चों की प्रतिभा को निखारने का बेहतर प्लेटफॉर्म : स्कूलों के निदेशक, प्राचार्य व अन्य शिक्षाविदों ने ओलंपियाड की खुलकर सराहना की। लोगों ने एक स्वर में कहा कि ‘हिन्दुस्तान ओलंपियाड बच्चों की प्रतिभा को निखारने का एक बेहतर प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराता है। एक स्वर में कहा कि हिन्दुस्तान ओलंपियाड में भाग लेने वाले छात्र-छात्राओं की प्रतिभा में इससे बहुत ही निखार आएगा। पहली से 12वीं तक के छात्र-छात्राएं इसमें भाग लेंगे। इससे उन्हें आज के समय में होने वाली परीक्षा, उसकी गतिविधियां व प्रतिर्स्पधा के बारे में जानने और समझने का पूरा मौका मिलेगा। इसमें सभी विषयों को समाहित करते हुए विद्यार्थियों की क्षमता और उनकी प्रतिभा का आकलन किया जाता है। इसलिए सभी छात्र-छात्राओं को इसमें शामिल होना चाहिए। शिक्षाविदों ने कहा कि हिन्दुस्तान ओलंपियाड एक महत्वपूर्ण पहल है। यह बच्चों की क्षमता वृद्धि में करने में पूरी तरह सहायक है। यह एक बहुत ही बेहतर प्रयास है, जो छात्र-छात्राएं राष्ट्रीय स्तर पर स्वयं का समग्र मूल्यांकन कर सकते हैं। हिन्दुस्तान ओलंपियाड स्वयं को परखने और आगे बढ़ने का बच्चों को पूरा अवसर प्रदान कर रहा है। बताते चलें कि ओलंपियाड का आवेदन भरने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अंतिम तिथि 30 सितंबर है। बच्चे अपने स्कूलों के माध्यम से या सीधे फॉर्म भर सकते हैं। विजेताओं को दो करोड़ रुपये के 75 सौ पुरस्कार देने की घोषणा हो चुकी है। जिला, क्षेत्रिय व राष्ट्रीय स्तर पर विजेताओं को पुरस्कृत किया जाएगा। भाग लेने वाले बच्चों को प्रमाणपत्र और प्रोग्रेस रिपोर्ट भी दी जाएगी। लकी ड्रा के माध्यम से कार और अन्य पुरस्कार भी दिए जाएंगे। यह बच्चों के आगे बढ़ने और अपनी बुद्धिमता को जांचने का एक सुनहरा मौका भी दे रहा है। शिक्षक-अभिभावक समझें अपनी जिम्मेदारी, बच्चों को दें पूरा समय : नई शिक्षा नीति लागू होने के बाद बच्चे स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने नहीं कौशल का विकास करने आते हैं। ऐसे में एक शिक्षक का दायित्व है कि वह बच्चों के बेहतर भविष्य का निर्माण करे। बच्चों के लिए शिक्षक व अभिभावक अपनी जिम्मेवारी समझें। अरविंद कुमार सिंह, आरपीएस स्कूल, बिहारशरीफ नई शिक्षा नीति के तहत आज अभिभावक अपने दायित्व का निर्वाह सही तरीके से नहीं कर पा रहे हैं। क्योंकि, बच्चों को तनिक डांट-फटकार के बाद स्कूल आकर शिक्षकों पर ही टूट पड़ते हैं, ऐसे में बेहतर शिक्षा की उम्मीद हम कैसे कर सकते हैं। रूबीना निशात, सदर आलम मेमोरियल सेकेंड्री स्कूल, बिहारशरीफ नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षक एक सीमा में बंधकर बच्चों को शिक्षा दे रहे हैं, क्योंकि वे बच्चों पर ज्यादा कड़ाई से अनुशासन नहीं कर सकते हैं। ऐसे में शिक्षकों की भूमिका बढ़ जाती है कि दायरे में रहकर बच्चों को कैसे बेहतर शिक्षा दें, ताकि वे समाज में आगे बढ़ सकें। रानी पांडेय, आरपीएस स्कूल, सोहनकुआं, बिहारशरीफ बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए शिक्षकों को स्वयं में पहले सहनशीलता लानी होगी, शिक्षकों के द्वारा बच्चों के मन में शिक्षा के प्रति बैठे डर को दूर भगाना होगा, तभी उसे हम बेहतर शिक्षा दे सकते हैं। जहां तक अभिभावकों की बात है तो अभिभावकों को बच्चों पर ध्यान रखना होगा। शुभमय कुंडू, दिल्ली पब्लिक स्कूल, नूरसराय शिक्षकों को शिक्षा देने का उद्देश्य हमेशा सही होना चाहिए। शिक्षा के माध्यम से हम समाज को क्या दे रहे हैं, और उस शिक्षा से समाज कितना बढ़ रहा है, यह देखने की जरूरत है। नई शिक्षा नीति में कई बंदिशे हैं, इसी के दायरे में रहकर हम बच्चों को बेहतर शिक्षा देना का प्रयास करें। बीजू थॉमस, संत पॉल इंग्लिश स्कूल, हरनौत अभिभावक बच्चों को स्कूल में देकर अपनी भूमिका को भूल जाते हैं, सिर्फ किताबी ज्ञान से हम बड़े पद पर तो पहुंच सकते हैं, लेकिन बेहतर इंसान नहीं बन सकते हैं, इसलिए शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी, तभी हम बेहतर शिक्षा की उम्मीद कर सकते हैं। ई. संदीप कुमार, विद्यादर्शन फाउंडेशन स्कूल, बिहारशरीफ बच्चों के सर्वांगीण विकास को लेकर जितनी शिक्षक मेहनत करते हैं, उससे अधिक मेहनत उसके माता-पिता को करने की जरूरत है। बच्चों की प्रथम पाठशाला घर ही होती है। बच्चे विद्यालय में सात से आठ घंटे ही रहते हैं। बाकी समय उनका घर पर ही बितता है। घर का माहौल बच्चों के भविष्य में अहम भूमिका रखता है। कर्नल आरएस नेहरा, नालंदा हेरिटेज स्कूल, नालंदा नेशनल एजुकेशन पॉलिसी में बदलाव हुआ है, जो काफी बेहतर है। अभिभावक को बच्चों से रोज बात करनी चाहिए, विशेष कर जब वे विद्यालय से घर लौटें तो उनसे दिन भर की दिनचर्या के बारे में और पढ़ाई के बारे में बातें करनी चाहिए। डॉ. रवि चंद्र कुमार, डैफोडिल पब्लिक स्कूल, बिहारशरीफ बच्चों को किस प्रकार बेहतर शिक्षा दी जाए, इसे लेकर प्रत्येक दिन स्कूल में शिक्षकों की बैठक होती है। आज के दौर में बच्चे परीक्षा में बेहतर परिणाम को लेकर काफी तनाव में रहते हैं। इसे दूर करने को लेकर सप्ताह में एक दिन नो बैग डे रखा गया है। पूनम कुमारी, गुरुकुल विद्यापीठ, बिहारशरीफ आज हर क्षेत्र में काफी प्रतिस्पर्धा है। खासकर शिक्षा के क्षेत्र में यह और अधिक है। लेकिन, इसे छात्र और शिक्षक दोनों को चुनौती के रूप में लेना चाहिए। क्योंकि, चुनौतियों के बीच ही अवसर भी मिलता है। इस दिशा में ओलंपियाड़ एक बेहतर प्रयास है। इसके माध्यम से बच्चों को एक बेहतर मंच भी मिलता है। अरविंद कुमार, कैंब्रिज स्कूल, बिहारशरीफ बच्चों को सबसे जरूरी है कि उसे सरल ढंग से पढ़ाई की जानकारी दी जाए। अनुशासन से संबंधित जानकारी भी बच्चों को देना जरूरी है। बच्चों को वर्तमान स्थिति से हमेशा अवगत भी रखना जरूरी है। इससे बच्चे सदैव अपडेट रहेंगे। उनके शिक्षा के स्तर को सही से मापने का सबसे बेहतर तरीके ओलंपियाड है। इसमें सबों को भाग लेना चाहिए। आशीष रंजन, नालंदा विद्या मंदिर, बिहारशरीफ विद्यालय व शिक्षक बच्चों के जीवन को बनाने में अहम योगदान अदा करते हैं, परंतु माता-पिता एवं परिवार का दायित्व है कि वे अपने बच्चों को समय दें। उनकी दिनचर्या कैसी है, वह विद्यालय में क्या कर रहे हैं, इसका ध्यान रखें। बच्चे शिक्षित होंगे, तभी जीन में सफल होंगे। पिंकेश आनंद, एक्सीलेंस कॉन्वेंट स्कूल, बरबीघा नई शिक्षा नीति बदलते जमाने के साथ छात्र-छात्राओं के जीवन में बड़े बदलाव ला सकता है, लेकिन शिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी अपनी जिम्मेदारी बखूबी समझनी होगी। बच्चों को सिर्फ शिक्षा पर ही निर्भर नहीं रहना होगा। उन्हें ओलंपियाड जैसी प्रतियोगिताओं में भाग लेना चाहिए। इससे उनका मानसिक विकास तेजी से होगा। अमन कुमार, माउंट लिट्रा स्कूल, सिलाव माता-पिता बच्चों के पहले शिक्षक होते हैं। उनके घर का माहौल जितना बेहतर होगा, बच्चों का सर्वांगीण विकास उतनी ही तेजी से होगा। हमें बच्चों के सामने आदर्श और अनुशासित व्यवहार करना चाहिए। बच्चों का मन कोमल होता है। उनसे सख्ती के साथ कभी भी पेश न आएं। बच्चों को प्रतिस्पर्धा के लिए भी मानसिक तौर पर तैयार करें। इस दिशा में ओलंपियाड सबसे बेहतर विकल्प है। सुधांशु रंजन, संस्कार आरएस स्कूल, बिहारशरीफ

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