नागपंचमी में दिखा नीम दानवों का रौद्र रूप, बेरहमी से लोगों ने तोड़ीं टहनियां
नागपंचमी में दिखा नीम दानवों का रौद्र रूप, बेरहमी से लोगों ने तोड़ी टहनियां नागपंचमी में दिखा नीम दानवों का रौद्र रूप, बेरहमी से लोगों ने तोड़ीं टहनियांनागपंचमी में दिखा नीम दानवों का रौद्र रूप, बेरहमी...
नागपंचमी में दिखा नीम दानवों का रौद्र रूप, बेरहमी से लोगों ने तोड़ी टहनियां
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28 नूरसराय 02: बिहारशरीफ में बुधवार को नीम की टहनियां तोड़कर ले जाते लोग।
नूरसराय। निज प्रतिनिधि
पर्यावरण संरक्षण को लेकर जिले में वन विभाग समेत कई संस्थाएं पौधरोपण अभियान चला रही हैं। वहीं जिले के बिहारशरीफ समेत अन्य प्रखंडों में बुधवार को नागपंचमी पर्व को लेकर नीम दानवों का रौद्र रूप दिखा। लोग नीम के पेड़ों से क्रूरतापूर्वक टहनियों को अलग कर ले गए। लोग बोझा-बोझाभर कंधे पर तो कोई साइकिल तो कोई मोटरसाइकिल पर नीम की टहनियां ले गए। आखिर नीम के पेड़ों पर नागपंचमी के दिन लोग इतना आक्रांत क्यों हो जाते हैं। राजस्थान के होकरा व पदमपुरा गांव में नीम नारायण बना हुआ है। वहीं नालंदा में नीम पर लोग बेरहमी से पेश आए।
होकरा व पदमपुरा गांवों में यदि कोई नीम को नष्ट करता है या टहनियां तोड़ देता है, तो उसे पंचायत में आर्थिक जुर्माने के साथ गांव से बाहर करने तक का प्रावधान है। इन दोनों गांवो में सड़क किनारे नीम, तो घर के आंगन या स्कूल परिसर में नीम के पेड़ ही पेड़ मिलते हैं। यहीं कारण है कि इन दोनों गांवो में एक भी डायबिटीज के रोगी नहीं हैं। मिशन हरियाली नूरसराय के राजीव कुमार ने बताया कि तीन नीम के पुराने पेड़ एक दिन में जितना ऑक्सीजन देते हैं उतना ऑक्सीजन एक दिन में एक व्यक्ति ग्रहण करता है। यदि गांव की आबादी 500 है तो उस गांव में कम से कम 15 सौ नीम के पेड़ होने चाहिए।