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नालंदा: बंदी की कगार पर खड़ी हैं सूबे की राइस मिलें

सरकार की गलत नीतियों के कारण सूबे की तीन हजार राइस मिलें बंदी होने की कगार पर खड़ी हैं। किसानों द्वारा उपजायी गयी फसल की खरीद नहीं हो पाती है। इस कारण किसान बिचौलियों के हाथों लुटने को मजबूर हैं। पांच...

नालंदा: बंदी की कगार पर खड़ी हैं सूबे की राइस मिलें
हिन्दुस्तान टीम,बिहारशरीफMon, 10 Sep 2018 09:33 PM
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सरकार की गलत नीतियों के कारण सूबे की तीन हजार राइस मिलें बंदी होने की कगार पर खड़ी हैं। किसानों द्वारा उपजायी गयी फसल की खरीद नहीं हो पाती है। इस कारण किसान बिचौलियों के हाथों लुटने को मजबूर हैं। पांच सूत्री मांगों के लिए बिहार स्टेट राइस मिल एसोसिएशन की नालंदा इकाई ने सोमवार को अस्पताल चौक पर धरना दिया। धरना में मिलर, किसान व मिल से जुड़े मजदूर शामिल थे।

कौशलेन्द्र कुमार छोटे ने कहा कि बिहार के किसानों की 100 फीसदी फसल खरीद नहीं होने पर उन्हें समर्थन मूल्य का लाभ नहीं मिल पाता है। मजबूरन किसानों को औने-पौने दाम में फसल बेचनी पड़ती है। राज्य का अधिकतर धान बाहर चला जाता है। इस कारण स्थानीय मिलों में धान पहुंच ही नहीं पाती है।

बैंकों से कर्ज व लाखों रुपये निवेश के बाद राइस मिल स्थापित हो पाती है। लेकिन, मात्र तीन-चार महीने ही काम मिल पाता है। इससे अधिकतर राइस मिलों की हालत खराब है। इससे जुड़े हजारों कर्मी भूखमरी की कगार पर हैं। इससे निपटने के लिए सरकार मिलों को भी धान खरीदने का अधिकार दे और तैयार चावल की खरीद करे। तैयार चावल का निर्यात भी हो सकता है। लेकिन कुछ अधिकारी सरकार को भ्रमित कर अपना उल्लू सीधा करने में लगे हैं।

धरना के बाद डीएम के माध्यम से मुख्यमंत्री को मांग पत्र भेजा जायेगा। लोगों ने कहा कि मांगें नहीं मानी गयीं तो मुख्यमंत्री के समक्ष आमरण अनशन किया जायेगा। धरना में जिलाध्यक्ष कौशलेन्द्र कुमार उर्फ छोटे मुखिया, उपाध्यक्ष सकलदीप कुमार, सचिव अभय कुमार, विनोद कुमार, कृष्णा कुमार, धनंजय कुमार, बबलू कुमार, दिनेश कुमार, रामजनम प्रसाद सिंह, अनंत कुमार, संजय कुमार आदि शामिल थे।

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